लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 99 सीटों पर जीत दर्ज कर बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं. तब राजनीति के जानकारों ने इसे कांग्रेस की वापसी माना था. लेकिन उसके बाद हुए एक के बाद एक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हारती चली गई. हाल ही में महाराष्ट्र में उसे दुर्गति देखनी पड़ी जब वह सिर्फ 16 सीटों पर सिमट गई. इससे पहले हरियाणा में उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. कांग्रेस नेता हार की वजह तलाशने में जुटे हैं. इसी बीच पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लगातार हार के लिए नेताओं की बयानबाजी और एकता की कमी को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने उन्होंने नेताओं को नसीहत दी कि अभी वक्त है, संभल जाएं.
खरगे ने कहा, 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी ने नए जोश-खरोश के साथ वापसी की थी. लेकिन उसके बाद हुए 3 राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे. इंडिया अलायंस ने 4 में से 2 राज्यों में सरकार बनाई. मगर हमारा परफार्मेंस अपेक्षा से काफी कम रहा. खरगे ने इसकी वजह बताई. उन्होंने कहा, सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है. जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?
खरगे ने कहा, कई राज्यों में हमारा संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है. पर इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनावी राज्यों में वहां के जरूरी लोकल मुद्दों को भूल जाएं. राज्यों के अलग-अलग मुद्दों को समय रहते बारीकी से समझना और उसके इर्द-गिर्द ठोस चुनावी रणनीति बनाना भी जरूरी है. कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ-साफ कहा, नेशनल इश्शू और नेशनल लीडर्स के सहारे आप कब तक राज्यों के चुनाव लड़ेंगे? हम पुराने ढर्रे पर चलते हुए कभी सफलता नहीं पा सकते.
महाराष्ट्र चुनाव का नतीजा समझ से परे
कांग्रेस अध्यक्ष ने इवीएम पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा- मैं मानता हूं कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, इसलिए इसे लेकर जितना कम कहा जाए उतना अच्छा. मगर देश में फ्री और फेयर इलेक्शन सुनिश्चित करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है. बार-बार ये सवाल उठ रहे हैं कि किस हद तक ये दायित्व निभाया जा रहा है. महाराष्ट्र पर बात करते हुए खरगे ने कहा, सिर्फ 6 महीने पहले जिस तरह के नतीजे लोकसभा में एमवीए के पक्ष में आए थे, उसके बाद विधानसभा का नतीजा राजनीतिक पंडितों के भी समझ से परे है. जैसे परिणाम आए हैं कि कोई भी अंकगणित इसे जस्टीफाई करने में असमर्थ है.
मणिपुर से संभल तक कई मसले
खरगे ने कहा, हमारे बार-बार हारने से फासिस्ट ताकतें अपनी जड़ें गहरी बना रही हैं. एक-एक कर वो राज्य की संस्थाओं पर भी अपना कब्जा जमा रहे हैं. संविधान को बनाने और लागू करने में अगर किसी एक दल को सबसे अधिक क्रेडिट जाता है तो वह कांग्रेस ही है. मणिपुर से लेकर संभल तक का बहुत गंभीर मसले हैं. बीजेपी देश का ध्यान अपनी विफलताओं से भटकाने के लिए कई धार्मिक मुद्दों को विभिन्न माध्यमों से हवा देने की कोशिश कर रही है.
लोकल से लेकर नेशनल लेवल तक बदलाव जरूरी
खरगे ने कहा, लोकसभा चुनाव में उत्साह भरे नतीजों को हासिल करने के बाद विधानसभा के चुनावों में हमें धक्का लगा है. इसीलिए हमें कठोर निर्णय लेने होंगे. आखिर में मैं ये कहना चाहता हूं कि हमें पराजय से हताश होने की जरूरत नहीं है. हमें नए संकल्प के साथ जमीनी लेवल से ब्लाक, जिला से लेकर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी स्तर तक बदलाव लाना होगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 17:48 IST