Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार बनी तो ऐसा माना गया कि वो इस नए केंद्र शासित प्रदेश के जम्मू और कश्मीर दोनों रीजन के साथ न्याय करेंगे लेकिन ऐसा होना नजर रहीं आ रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने वादा किया था कि कोई क्षेत्रीय भेदभाव नहीं होगा. यानी जम्मू क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी पार्टी ने अपनी अधिकांश सीटें कश्मीर घाटी से जीती थीं और यह बात चारों ओर फैल गई थी कि कश्मीर-केंद्रित शासन की पुरानी प्रथाएं फिर से शुरू हो जाएंगी. उनके शब्दों को खोखला और अर्थहीन बनले में ज्यादा समय नहीं लगा. जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग (PSC) ने जो पहला रोजगार पोस्ट निकाला है उसमें शिक्षा विभाग में लेक्चरर्स के 575 पद हैं. इनमें से उर्दू के 36, अरबी के दो और फारसी के चार पद हैं.
खासबात यह है कि 575 जॉब पोस्ट में हिंदी या संस्कृत का एक भी पद नहीं है. इसमें अंग्रेजी लेक्चरर्स के 53 पोस्ट भी शामिल हैं. कुल मिलाकर विभिन्न भाषाओं में व्याख्याताओं के 102 पद हैं, जिनमें कश्मीरी और डोगरी के लिए तीन-तीन और पंजाबी के लिए एक पद है. हिंदी या संस्कृत का कोई भी पद पीएससी को न भेजना जम्मू क्षेत्र के साथ साफ तौर पर भेदभाव है? ये दोनों भाषाएं कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रियासी जिलों के स्कूलों में बोली जाती हैं और वैकल्पिक विषयों के रूप में पढ़ाई जाती हैं. ये सभी इलाके हिंदू बहुल हैं. स्कूलों, कॉलेजों और जम्मू विश्वविद्यालय में छात्रों के विभिन्न संगठनों ने सरकार के इस भेदभावपूर्ण कदम की कड़ी निंदा की है.
सनातन धर्म सभा (एसडीएस) के अध्यक्ष पुरुषोत्तम दधीची ने इसे जम्मू क्षेत्र की विशाल हिंदू आबादी के खिलाफ घोर भेदभाव करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह हिंदू छात्रों का मनोबल गिराने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है ताकि वे इन विषयों को आगे बढ़ाने के परिणामों से डरें. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. जिसके बाद करीब एक महीने पहले घाटी में विधानसभा चुनाव हुए. इस दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार जीतकर सत्ता में आई.
Tags: Jammu kashmir news, Omar abdullah
FIRST PUBLISHED :
November 29, 2024, 15:10 IST