हुसैनाबाद को रामनगर बनाने से नहीं जीत सकते झारखंड चुनाव

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हेमंत सोरेन ने सरना और खतिहान पर फोकस कियाहेमंत सोरेन ने सरना और खतिहान पर फोकस किया

रांची: हम हुसैनाबाद को रामनगर बना देंगे, जीते तो तमाम बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकाल देंगे. माटी-बेटी रोटी का सवाल है. ये तमाम उग्र आक्रामक वादे हवा में उड़ गए. भारतीय जनता पार्टी झारखंड के लोगों की नब्ज पकड़ने में बुरी तरह फेल हो गई. दरअसल बिहार से अलग हुए झारखंड की राजनीति बटेंगे तो कटेंगे जैसे नैरेटिव से सेट होती नहीं है. संथाल परगना की आदिवासी आबादी को मुसलमानों से ज्यादा अपनी चिंता है. झारखंड में लगभग 26 परसेंट आबादी आदिवासियों की है और इतनी ही कुड़मी आबादी है. इनकी लड़ाई बांग्लादेशियों से ज्यादा अपने हक और हुकूक की है. डोमिसाइल बड़ा मुद्दा है. देसी संस्कृति को बचाए रखना बड़ा मुद्दा है. मैंने तो 2001-04 का दौड़ देखा है जब नवजात झारखंड डोमिसाइल के मुद्दे पर जंग के मैदान में तब्दील हो जाया करता था. तब इनकी लड़ाई बांग्लादेशियों से ज्यादा बिहारियों से थी. यहां 1932 का खतियान जरूरी है. सरना जरूरी है. हिंदू-मुसलमान नहीं. इसीलिए दिशोम गुरू शिब सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन को हुई जेल को भुनाने में बीजेपी फेल हो गई. शिबू सोरेन तो संसद में पैसे लेकर वोट देने के मामले में पकड़े गए थे. लेकिन उनकी छवि झारखंड में खराब नहीं हुई. वही हाल हेमंत सोरेन का है. सीएम रहते जमीन अपनों के नाम कराने का मामला किसी और राज्य में मुददा बन सकता है लेकिन झारखंड के आदिवासियों की सहानुभूति हासलि करने में वो सफल हो गए.

मैंने तो 2001-04 का दौड़ देखा है जब नवजात झारखंड डोमिसाइल के मुद्दे पर जंग के मैदान में तब्दील हो जाया करता था. तब इनकी लड़ाई बांग्लादेशियों से ज्यादा बिहारियों से थी. यहां 1932 का खतियान जरूरी है. सरना जरूरी है. हिंदू-मुसलमान नहीं.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में आदिवासियों ने बीजेपी पर भरोसा जताया था लेकिन गैर आदिवासी रघुवर दास को सीएम बनाए गए. इसका नतीजा हुआ कि अगले चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा आगे निकल गई. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दो बड़े खेल किए थे. अलग झारखंड के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी पार्टी की घरवापसी हुई. संथाल अदिवासी बाबूलाल मरांडी की धमक दुमका से गिरीडीह तक हुआ करती है. दूसरा खेला हेमंत सोरेन के दांए हाथ और कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन को अपने पाले में लाकर किया. हेमंत ने जेल जाने से पहले चंपाई को सीएम बनाया लेकिन बाहर निकलने के बाद उन्हें पद से हटा दिया. उम्मीद थी कि बीजेपी उन्हें प्रताड़ित आदिवासी बताकर कोल्हान इलाके का सूखा खत्म करेगी. लेकिन इलेक्शन रिजल्ट ऐसा ट्रेंड नहीं दिखा पा रहे. इसके बाद बीजेपी ने पूर्वोत्तर में बीजेपी का परचम लहराने वाले असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को चुनाव की जिम्मेदारी दी. साथ दिया एमपी के टाइगर और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने. यहीं मामला ट्रिगर कर गया लगता है.

झारखंड की सभी सीटों के ताजा ट्रेंड 

फायरब्रांड लीडर हिमंता ने झारखंड में वो कार्ड खेलने की कोशिश की जो चलता नहीं है. ध्रुवीकरण की कोशिश. धरातल पर ये काम करता हुआ नहीं दिख रहा है. स्थानीय मुद्दे हावी रहे. कांग्रेस के नेता बंधु तिर्की और हेमंत सोरेन जैसे नेताओं ने इसी मुद्दों के केंद्र बनाकर पिछले 20 वर्षों से वहां राजनीति की है. 2010 तक सालखन मुर्मू, बंधु तिर्की, चमरा लिंडा जैसे नेताओं ने स्थानीय यानी डोमिसाइल को झारखंड पॉलिटिक्स की धुरी बनाई. इसको हेमंत सोरेन ने आगे बढ़ाया. दिसंबर, 20243 में डोमिसाइल कानून असेंबली से पास किया जिसे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन बताया था. राज्यपाल की ये कार्रवाई भी बीजेपी के खिलाफ गई. इस कानून के तहत राज्य सरकार में क्लास टू और फोर नौकरियों में स्थानीय लोगों को 100 परसेंट रिजर्वेशन दिया गया है. स्थानीय की पहचान 1932 के खतिहान के आधार पर ही होगी.

लोकल कनेक्शन ने किया खेल
हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो हुलिया भी बदल लिया. दाढ़ी बाल बढ़ाकर खुद को शिबू सोरेन की तरह ही दिखाने लगे. पार्टी का मैनिफेस्टो भी पापा के एक्स हैंडल से जारी किया. उधर पत्नी कल्पना सोरेन ड्राइविंग सीट पर न सिर्फ कार में बैठी नजर आई बल्कि चुनाव मैदान में भी वो भीड़ का हिस्सा बन लोकल कनेक्शन के मामले में झामुमो को आगे निकाल ले गईं. हेमंत सोरेन की पार्टी 43 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस 30 सीटों पर. तेजस्वी यादव की आरजेडी को छह सीटें मिली. जो ताजा ट्रेंड है वो दिखा रहा है कि कैसे आरजेडी छह की छह सीटों पर आगे चल रही है. मतलब साफ है कि हेमंत सोरेन के वोट और बिहारियों के वोट मिल कर आरजेडी के ट्रांसफर हो रहे हैं. कांग्रेस को 30 देना गलत फैसला माना जा रहा था और ये ट्रेड से भी दिख रहा है. लेकिन हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव की स्ट्राइक रेट ने बड़ा बदलाव कर दिया है. झारखंड की कमान हेमंत सोरेन के हाथ में रहेगी, ये तय है.

Tags: Jharkhand predetermination 2024

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 11:14 IST

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