नई दिल्ली. वर्ल्ड कप 2024 के दौरान रघु काफी चर्चा में आए थे. वही सबसे पहली बार मैदान में झंडा लेकर घुसे थे. रघु का असली नाम राघवेंद्र द्विवेदी है. रघु ने सिर्फ 21 रुपए के साथ घर छोड़ दिया था. क्योंकि वह अपने लक्ष्य के बीच में किसी को भी नहीं आने देते थे. वह परिवार को छोड़कर बेंगलुरु आ गए थे. सचिन ने उनकी मदद की थी. तब से वह आज तक टीम इंडिया का हिस्सा हैं. आइए जानते हैं रघु टीम इंडिया के लिए क्या करते हैं.
टीम इंडिया के थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट बनने तक का रघु का सफ़र स्ट्रगल भरा रहा है. उत्तर कन्नड़ जिले के कुमता में जन्मे रघु का हमेशा से क्रिकेट के प्रति जुनून रहा है. क्रिकेट और परिवार की उम्मीदों के बीच चुनाव करने के लिए रघु ने अपना जुनून चुना और जेब में सिर्फ़ 21 रुपये लेकर घर से निकल पड़े. उन्होंने शुरुआत में मंदिरों और बसों में रातें बिताई थी. कुछ समय के बाद वह बैंगलोर में रहने लगे.
बैंगलोर में रघु के टैलेंट को कोई नहीं पहचान पाया. उन्होंने सबसे पहले कर्नाटक राज्य के पूर्व क्रिकेटर और अंडर-19 चयन समिति के प्रमुख तिलक नायडू का ध्यान आकर्षित किया. जिन्होंने उन्हें कर्नाटक के एक और दिग्गज क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ से मिलवाया. श्रीनाथ ने उन्हें कर्नाटक रणजी टीम में शामिल होने के लिए कहा. जहां उन्होंने क्रिकेटरों के साथ काम करना शुरू किया और अपना नाम बनाया.
सचिन तेंदुलकर ने साल 2011 में उनके टैलेंट को देखा और उन्होंने टीम मैनेजमेंट को सलाह दी कि वह रघु को ट्रेनिंग एसिस्टेंट के रूप में टीम के साथ शामिल करें. इसके बाद वह टीम में शामिल किए गए. टी20 वर्ल्ड कप जीत के बाद रघु पहली बार चर्चा में आए थे. वहीं, वह इंसान थे जो सबसे पहली बार भारत का झंडा लेकर मैदान के अंदर दौड़ते हुए आए थे. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था.
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FIRST PUBLISHED :
October 27, 2024, 16:40 IST