Agency:Local18
Last Updated:February 11, 2025, 22:53 IST
Gajar ki kheti: गुजरात के मेहसाणा जिले के हसनपुर गांव का दंताणी परिवार 30 साल से देसी लाल गाजर की खेती कर रहा है. इस साल भाव गिरने से किसान निराश हैं, लेकिन खुदरा बिक्री से कुछ मुनाफा हो रहा है.
![30 साल से कर रहे देसी गाजर की खेती, लेकिन गाजर के भाव ने किया किसानों को निराश 30 साल से कर रहे देसी गाजर की खेती, लेकिन गाजर के भाव ने किया किसानों को निराश](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/gajar-ki-kheti-2025-02-55ddf5f6335b3e3a5756cf4130848436.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
गाजर की खेती
गुजरात के पाटन जिले की गाजर अपनी मिठास और रंग के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि, मेहसाणा जिले के हसनपुर गांव में भी गाजर की खेती की जाती है. खासतौर पर दंताणी परिवार पिछले 30 वर्षों से देसी गाजर की खेती कर रहा है. इस परिवार की गाजर लाल रंग की चमकदार और स्वाद में बेहद मीठी होती है, जो इसे बाजार में अलग पहचान दिलाती है.
गाजर की खेती से जुड़ी मेहनत
हसनपुर गांव में आमतौर पर तंबाकू, अरंडी और सरसों की खेती होती है, लेकिन कई किसान गाजर और खीरा जैसी फसलें भी उगा रहे हैं. सर्दियों में करीब 30 बीघा जमीन पर गाजर की खेती की जाती है. इस खेती में काफी मेहनत लगती है. खेतों से गाजर निकालने के बाद उसे साफ किया जाता है, फिर पानी से धोकर बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है.
कम भाव ने बढ़ाई किसानों की चिंता
दंताणी परिवार के कांतिभाई मणिलाल दंताणी बताते हैं कि गाजर तीन महीने की फसल होती है. खेती के लिए जमीन किराए पर ली जाती है और देसी बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. प्रति बीघा करीब 300 मन गाजर का उत्पादन होता है. पिछले साल एक किलो गाजर 50 रुपये तक बिकी थी, लेकिन इस साल भाव घटकर 20 रुपये तक आ गए हैं.
खुदरा बिक्री से हो रही है अच्छी कमाई
राकेशभाई दंताणी के अनुसार, इस साल खेती देर से शुरू हुई, जिससे उत्पादन में कमी आई है. मार्केट यार्ड में गाजर के भाव 5 से 10 रुपये प्रति किलो तक ही मिल रहे हैं, जिससे किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है. हालांकि, खुदरा बिक्री में अच्छे दाम मिल रहे हैं. विसनगर-हसनपुर रोड पर ठेला लगाकर गाजर बेची जा रही है, जिससे रोजाना 800 से 1000 रुपये तक की आमदनी हो रही है.
कड़ी मेहनत के बाद भी उचित मूल्य नहीं
गाजर बेचने वाली कैलाशबेन दंताणी का कहना है कि खेती में काफी मेहनत लगती है, लेकिन इसका सही मुआवजा नहीं मिल रहा है. मार्केट में भाव कम होने से किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. हालांकि, सीधे ग्राहकों को बेचने पर कुछ राहत मिलती है. फिर भी, किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में गाजर के भाव सुधरेंगे और उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा.
First Published :
February 11, 2025, 22:53 IST
30 साल से कर रहे देसी गाजर की खेती, लेकिन गाजर के भाव ने किया किसानों को निराश