Analysis : AAP की दिल्ली वाली पहली लिस्ट के 6 सरप्राइज के क्या हैं 6 मैसेज? जानिए इनसाइड स्टोरी

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नई दिल्ली:

दिल्ली में अगले साल जनवरी-फरवरी में विधानसभा (Delhi Assembly Elections 2024) के चुनाव होने हैं. चुनाव आयोग (Elections Commission) ने अब तक न तो कोई नोटिफिकेशन जारी किया है. न ही किसी तारीख का ऐलान किया है. लेकिन, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने गुरुवार को उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करके सबको चौंका दिया है. पहली लिस्ट में 11 कैंडिडेट के नाम हैं. लिस्ट में ऐसे 6 नाम भी हैं, जो शायद दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लिए 'सरप्राइजिंग' है, लेकिन खुद आम आदमी पार्टी के लिए ये 'शॉक' ही कहा जाएगा. क्योंकि इन 6 में से 3 नेता BJP और 3 नेता कांग्रेस छोड़कर AAP के साथ आए हैं.

दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है. आम तौर पर चुनाव आयोग मौजूदा सदन के 5 साल का कार्यकाल खत्म होने की तारीख से पहले ही चुनाव की प्रक्रिया पूरी कराता है. दिल्ली के लिए अभी EC की तरफ से कोई घोषणा नहीं हुई है. आइए समझते हैं कि विधानसभा चुनाव को लेकर AAP को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने की आखिर इतनी जल्दी क्यों थी? BJP-कांग्रेस छोड़कर आए इन 6 नेताओं को टिकट देकर AAP के कंविनर अरविंद केजरीवाल क्या मैसेज देना चाहते हैं? आखिर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अपने इस कदम से क्या मैसेज देना चाहते हैं:-

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सबसे पहले जानिए, AAP की लिस्ट में किन्हें मिली जगह?
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जारी की गई AAP के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में ब्रह्म सिंह तंवर, बीबी त्यागी और अनिल झा का नाम है. ये तीनों हाल ही में BJP छोड़कर AAP में शामिल हुए थे. वहीं जुबैर चौधरी, वीर सिंह धींगान और सुमेश शौकीन को भी उम्मीदवारों की लिस्ट में जगह दी गई है. ये तीनों बीते दिनों कांग्रेस का 'हाथ' छोड़कर AAP के साथ आए थे.

                                             AAP उम्मीदवारों की लिस्ट

विधानसभाउम्मीदवार
छतरपुरब्रह्म सिंह तंवर
किराड़ीअनिल झा
विश्वासनगरदीपक सिंघला
रोहतास नगरसरिता सिंह
लक्ष्मी नगरबीबी त्यागी
बदरपुरराम सिंह
सीलमपुरजुबैर चौधरी
सीमापुरीवीर सिंह धींगान
घोंडागौरव शर्मा
करावल नगरमनोज त्यागी
मटियालासुमेश शौकीन

इतनी जल्दी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने के फैसले को कई राजनीतिक जानकर इसे अरविंद केजरीवाल का मास्टर स्ट्रोक, दूरदर्शिता और रणनीति बता रहे हैं. लेकिन उनके इस फैसले के पीछे कई ऐसी वजहें हैं, जिन्हें समझना जरूरी है. आइए जानते हैं AAP ने क्यों लिया ये फैसला:-

कमजोर सीटों पर काम करने का मिलेगा ज्यादा समय
AAP ने पहली लिस्ट में 11 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. लिस्ट में उन सीटों को शामिल किया गया है, जहां AAP कमजोर है. इन 11 सीटों में से 6 सीटों पर अभी BJP का कब्जा है. यहां AAP की पकड़ कमजोर है. ये 6 सीटें लक्ष्मी नगर, विश्वास नगर, रोहतास नगर, घोंडा, करावल नगर और बदरपुर हैं.

लक्ष्मी नगर विधानसभा से BJP के अभय वर्मा विधायक हैं. विश्वास नगर से BJP के ओपी शर्मा विधायक हैं. रोहतास नगर से BJP के जितेंद्र कुमार महाजन विधायक हैं. घोंडा से अजय महावर BJP से विधायक हैं. करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट और बदरपुर से रामवीर सिंह बिधुरी विधायक हैं. वोट बैंक के लिहाज से भी ये सीटें काफी अहम हैं. इसलिए AAP ने इन सीटों पर पहले उम्मीदवार फाइनल कर दिए हैं. ताकि पार्टी को इन सीटों पर खुद को मजबूत करने का भरपूर वक्त मिल जाए.

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एंटी इंकमबेंसी की काट 
दूसरी वजह एंटी इंकमबेंसी हो सकती है. दिल्ली की सत्ता में AAP 2015 से है. इन 10 सालों में जाहिर तौर पर सत्ता विरोधी लहर का होना लाजिमी है. कई बार ऐसा देखा गया है कि अगर एक ही सीट पर एक ही चेहरा लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करता हो, तो उसे लेकर एक नीरसता आ जाती है. शायद इसलिए AAP ने अपनी पहली लिस्ट में कई विधायकों की सीट बदली है. नए चेहरों को मौका दिया है. 

छवि सुधारने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश    
हाल के समय में AAP सरकार पर कई आरोप लगे हैं. शराब नीति केस में तो अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह को जेल तक हो चुकी है. तीनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन भी लंबे समय तक तिहाड़ जेल में रह चुके हैं. हाल ही में वो जमानत पर लौटे हैं. अब जेल से बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी पर फोकस कर रहे हैं. उन्होंने कई बार कहा है कि अगर ईमानदार हूं, तो दिल्ली की जनता फिर से अपना आशीर्वाद देगी. वहीं, समय से काफी पहले उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करके AAP ने अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया है. ताकि पार्टी वर्कर एकजुट होकर फिर से संगठन के काम में जुट जाए.

दूसरी पार्टियों के मुकाबले बढ़त बनाना मकसद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनिंदा सीटों पर पहले उम्मीदवारों का ऐलान करके AAP का मकसद वास्तव में दूसरी पार्टियों खासकर BJP के मुकाबले बढ़त बनाना है. पार्टी ने BJP की पकड़ वाली सीटों पर पहले उम्मीदवार की घोषणा करके अपने लिए प्रचार करने का ज्यादा मौका भी निकाल लिया है. उन्हें डोर-टू-डोर कैंपेन करने का भी पर्याप्त समय मिल जाएगा.

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दूसरी पार्टी के नेताओं को न्योता
आम आदमी पार्टी के 11 उम्मीदवारों की लिस्ट में कम से कम 50% उम्मीदवार दूसरी पार्टी से आए हैं यानी वो दलबदलू नेता हैं. 4 उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जो हाल ही में AAP में शामिल हुए हैं. ऐसा करके AAP ने दूसरी पार्टियों को एक मैसेज देने की कोशिश की है कि अगर उनके बागी नेता AAP में आते हैं, तो पार्टी उन्हें हाथों- हाथ लेगी.

चुनाव हारने वाले 3 चेहरे का नहीं छोड़ा हाथ
आम आदमी पार्टी ने अपनी लिस्ट में एक भावनात्मक मैसेज भी दिया है. 2020 के चुनाव में हारने वाले 3 चेहरे को फिर से रिपीट किया है. AAP ने विश्वास नगर से दीपक सिंगला, रोहतास नगर से सरिता सिंह और बदरपुर से राम सिंह नेताजी को फिर से उम्मीदवार बनाया है. ये तीनों 2020 का चुनाव हार गए थे. वहीं, BJP के गढ़ कहे जाने वाले करावल नगर से चुनाव हार चुके दुर्गेश पाठक अभी राजेंद्र नगर से विधायक हैं. यहां से AAP ने पार्षद मनोज त्यागी को मैदान में उतारा है. ऐसा करके पार्टी ने ये बताने की कोशिश की है कि वो अपने हारे हुए साथियों का साथ भी नहीं छोड़ती. 

दिल्ली में कैसा रहा था 2020 का चुनाव?
दिल्ली में फरवरी 2020 में विधानसभा के चुनाव हुए थे. इसमें आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था. AAP ने 70 में से 62 सीटें जीतीं. 8 सीटें BJP के खाते में गई थीं. कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुल पाया था. अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे. AAP का वोट शेयर 53.8% था. BJP का वोट शेयर 38.7% और कांग्रेस का वोट शेयर 4.3% था.

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मुश्किलों भरा रहा केजरीवाल का कार्यकाल
हालांकि, अरविंद केजरीवाल को अपने कार्यकाल में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दिल्ली की शराब नीति केस में ED-CBI की जांच में पहले AAP सरकार में नंबर 2 और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का नाम आया. उनकी गिरफ्तारी हुई. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल भेजे गए. फिर राज्यसभा सांसद संजय सिंह को अरेस्ट किया गया. जांच की आंच अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंची. 

मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई गिरफ्तारी
शराब नीति केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को अरेस्ट किया. 10 दिन की पूछताछ के बाद उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए उन्हें 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी. 2 जून को उन्हें सरेंडर करना पड़ा था. फिर 12 जुलाई को उन्हें ED केस में जमानत मिल गई. लेकिन, CBI ने उन्हें अरेस्ट कर लिया था. 

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जमानत पर बाहर आने के बाद CM पद से दिया इस्तीफा
सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दोनों ही केस में कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी. जेल से बाहर आने के कुछ दिनों बाद उन्होंने CM पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद आतिशी मुख्यमंत्री बनाई गईं. आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.

केजरीवाल को किन शर्तों पर मिली जमानत?
-अरविंद केजरीवाल CM ऑफिस नहीं जा सकेंगे.
-किसी भी सरकारी फाइल पर साइन नहीं करेंगे.
-वो दिल्ली शराब नीति केस से जुड़ा कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे.
-उन्हें 10-10 लाख रुपये का बॉन्ड भरना होगा.
-वो जांच में बाधा नहीं डालेंगे या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.
-जांच में सहयोग करते रहेंगे और जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे.

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