भोजपुर के जवइनिया गांव में 50 घर गंगा नदी में समा गए.
भोजपुर : भोजपुर में गंगा नदी का कहर अभी भी जारी है, यहां लोगों के घर नदी में समाने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. एक महीने के अंदर तकरीबन 60 से 70 पक्के मकान गंगा में विलीन हो चुके हैं. ये त्रासदी भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के जवइनिया गांव में हो रही है. इतनी बड़ी तबाही को झेल रहे गांव में जिला प्रसाशन के द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया है. खानापूर्ति कहे या जिला प्रसाशन का सुस्त रवैया शाहपुर के सीओ व अन्य अधिकारी गांव का दौरा तो कर रहे है लेकिन मुसीबत से निकालने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं.
बता दें कि जवइनिया गांव गंगा किनारे पर मौजूद है. यहां के लोग बाढ़ के दिनों में सबसे पहले बाढ़ में डूबते है और उसके बाद सबसे अंतिम में बाढ़ के पानी से निकलते है. समस्या यहीं खत्म नहीं होती भीषण गर्मी में लू के थपेड़ों में यहां एक बार आग पकड़ता है तो कई झुग्गी-झोपड़ी को समाप्त कर देता है. आग से बचने के लिए ग्रामीण जैसे तैसे पैसा जोड़ कर कर्ज ले कर झोपड़ी से पक्का मकान बनवाये और अब उनकी जीवन भर की जमा पूंजी तिनके की तरह गंगा के गोद मे समा गई. लोकल 18 की टीम जब शहर से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर सुदूर दियरा में बसे जवइनिया गांव पहुंची तो सैंकड़ो ग्रामीण अपनी हजार समस्या ले कर पहुंच गए.
जवइनिया गांव के रहने वाले गणेश ने रोते हुए लोकल 18 को बताया कि,‘ आज के कुछ साल पहले तक मैं झोपड़ी में रहता था, लेकिन आग लगने की समस्या के कारण कई बार मेरी झोपड़ी जल गई. बार-बार झोपड़ी के जलने से मैं परेशान हो गया, एक-एक रुपया जोड़ा, कुछ उधार लिए, कुछ लोगों से कर्ज लिया. फिर जैसे-तैसे करके धीरे-धीरे अपना दो मंजिला घर बनवाया. मैं और मेरा परिवार बहुत खुश था मैंने अतिथियों को बुलाकर दावत दी. फिर अपने पक्के मकान में रहने लगा, अभी दो साल ही हुआ था हमारे घर को बने हुए और वह गंगा माई में मेरी आंखों के सामने समा गया. हमारे घर से गंगा जी की दूरी 2-3 किलोमीटर थी, लेकिन बहाव इधर की ओर हो गया और मेरा एक-एक रुपया जोड़कर बनाया घर गंगा नदी में विलीन हो गया’.
इस बार बाढ़ आया तो गंगा का जलस्तर बहुत ज्यादा था पूरा गांव डूब गया फिर भी हमें कोई दिक्कत नहीं था क्योंकि बाढ़ की आपदा को झेलने की आदत पड़ चुकी थी. बाढ़ का पानी कम हुआ और गंगा का कटाव तेज हो गया. उसी कटाव में दो दिन पहले मेरा घर भी गंगा में पूरी तरह कटकर गिर गया. अब कहां रहेंगे परिवार को कहां रखेंगे क्या खाएंगे कुछ समझ नही आ रहा है. घर गिरने के बाद बच्चों को ले कर पत्नी मायके चली गई है. हम रहने का कोई व्यवस्था कर लेंगे लेकिन हम क्या करेंगे इतना बोलते हुए मजदूर गणेश पूरी तरह रोने लगा.
दूसरी पीड़ित महिला बब्लू और उसकी पत्नी मिली बब्लू की पत्नी विजांति अपने घर से बचे हुए सामान को बाहर रोड पर रख रही थी इतने में कोई बताता है कि वीजांति का घर आज ही सुबह में गंगा निगल चुकी है. लोकल 18 ने महिला से पूछा क्या हुआ आपके साथ तो महिला बताई की आज सुबह 6 बजे मेरे घर के पीछे कई मकान अचानक गंगा में गिरने लगा बहुत तेज आवाज आया तो हमलोग दौड़ कर देखने गए उतने में मेरे घर का आधा हिस्सा भी गंगा में कट गया जैसे तैसे हम लोग जरूरी सामान, अलमीरा, खाट, बक्सा, लोहे के गेट इत्यादि ले कर मकान खाली कर दिए है. अब बचा हुआ मकान के गिरने के इंतजार में है. जीवन भर की जमा पूंजी को अपने आंखों के सामने बर्बाद होते हुए भी हम कुछ नही कर पा रहे हैं. सिर्फ देख सकते है. सरकार से गुहार लगा सकते है लेकिन अभी तक कोई मदद हमें नही मिला है. सिर्फ स्कूल में रहने और खाने का जगह दिया गया है.
भीषण कटाव झेल रहे जवइनिया गांव का निरीक्षण करने पहुंचे शाहपुर के BPRO राजेश प्रसाद ने बताया कि तत्काल ग्रामीणों को गांव खाली करने को बोला गया है. सबको सरकारी स्कूल और पंचायत भवन में शिफ्ट कराया जा रहा है, जिनका मकान गंगा में गिर चुका है उनको चिन्हित कर उनके दस्तावेज लिये जा रहे है. रिपोर्ट बनाकर हम लोग जिला को सपुर्द कर देंगे वहां से राज्य सरकार को फॉरवर्ड कर दिया जाएगा. आगे सरकार के निर्देश का इंतेजार है कि कटाव में गिर चुके मकानमालिकों को क्या राहत दिया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 5, 2024, 22:59 IST