हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह बहुत ही अलग हैं फिर भी उनमें ग्रहों के सिस्टम की कई खूबियां हैं जो दूसरे कई ऐसै सिस्टम में दिखाई देती हैं. इसलिए जब किसी ग्रह में कोई खास बात या खास बदलाव दिखता है तो एक सवाल यही उठता है कि क्या ऐसा हमारी पृथ्वी के साथ हो सकता है? सौरमंडल में यूरेनस ऐसा ग्रह हैं जो वास्तव में बहुत ही अधिक कारणों से बिलकुल अलग है. उन्हीं विशेषताओं में से उसका ऊपरी वायुमडंल की भी है, जिसे थर्मोस्फियर कोरोना कहते हैं. सतह से 50 हजार कोलोमीटर ऊपर इस परत का तापमान तो वैसे 500 डिग्री सेल्सियस होता है, लेकिन अजीब बात ये है कि पिछले कुछ समय से ये तापमान कम हो रहा है. वैज्ञानिकों के लिए ये एक कठिन पहेली रही, लेकिन अब उन्होंने इसे सुलझा लिया है और यह पता लगाया है किक्या ऐसा पृथ्वी के साथ हो सकता है या नहीं.
यूरेनस के ऊपरी वायुमंडल का तापमान
वॉयजर 2 यान ने 1986 में यूरेनस से गुजरते हुए इसके थर्मोस्फियर के तापमान को मापा था. उसके बाद से दशकों से टेलीस्कोप इसके तापमान पर नजर रखे हुए हैं. तमाम मापन बताते हैं कि ऊपरी वायुमंडल ठंडा हो रहा है और तापमान अब तक आधा हो चुका है और अजीब बात ये है कि किसी और ग्रह के साथ भी ऐसा नहीं हुआ है.
वैज्ञानिकों को कैसे पता लगता है कि उसका तापमान
वैज्ञानिक जानते हैं कि थर्मोस्फियर के नीचे आयनों की एक परत लिपटी हुई है और इसकी मदद से ही खगोलविद थर्मोस्फियर का तापमान माप पाते हैं. आयनों की यह परत निचले वायुमंडल को ग्रह के मैग्नेटोस्फियर से अलग करती है. इस परत के H3+ आयन से निकलने वाली तरंगों से खगोलविद थर्मोस्फियर के तापमान पता लगाते हैं. उन्हें इसी के जरिए पता चला कि यूरेनस का ऊपरी वायुमंडल ठंडा हो रहा है, जबकि निचले वायुमंडल के साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा था.
यूरेनस ग्रह का ऊपरी वायुमंडल बाकी ग्रहों से काफी अलग है और यह ठंडा हो रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA JPL)
सौर पवन का असर
जियोफिजिकल रीव्यू लैटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन को प्रमुख लेखक डॉ एडम मास्टर्स ने पता लगाया कि कि असल में सौर पवन ही इस तापमान में गिरावट की वजह है. सूर्य की बाहरी परत कोरोना से आने वाले आवेशित कण पवन की तरह बहते हुए यहां पहुंचते हैं. इसी पवन के गुण यूरेनस के ऊपरी वायुमंडल में पहुंच कर धीरे धीरे बदल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पाया है कि 1990 के के बाद से सौर पवन का बाहरी दबाव धीरे से लेकिन प्रभावी तौर पर गिर रहा है जिसका यूरेनस के गिरते तापमान से संबंध दिख रहा है.
क्या पृथ्वी के साथ भी हो रहा है ऐसा?
सवाल ये है क्या ऐसा पृथ्वी के साथ भी हो रहा है? यहां गौर करने वाली बात ये है कि पृथ्वी के बाहरी तापमान पर फोटोन का असर होता है, और हमारी पृथ्वी का मैग्नोटोस्फियर सौर पवन से तो ग्रह की रक्षा कर लेता है, लेकिन फोटोन से नहीं कर पाता है. यही फोटोन पृथ्वी के जीवन के लिए वरदान हैं. लेकिन यूरेनस के साथ ऐसा नहीं है. इसके अलावा, यूरेनस सूर्य से 3 अरब किलोमीटर, जबकि पृथ्वी सूर्य से 22.8 करोड़ किलोमीटर दूर है. ऐसे में यूरेनस पर पर्याप्त फोटोन नहीं पहुंच पाते हैं.
यह भी पढ़ें: Explainer: नासा का ये रोबोट बृहस्पति के चांद की करेगा पड़ताल, बर्फ के नीचे महासागर में लगाएगा गोता!
अब यूरेनस का मैग्नोटोस्फियर तो सौर पवन से अपने ग्रह की रक्षा कर लेता है. ऊर्जा ग्रह के आसपास के स्पेस से निकल जाती है जो थर्मोस्फियर तक पहुंत कर उसके तापमान को काबू करती है और उसे कम भी करने में भूमिका निभाती है. भावी यूरेनस के अभियान इस पूरी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. यह अध्ययन पृथ्वी से बहुत दूर मौजूद अन्य तारों के ग्रहों के सिस्टम के ग्रहों को समझने में भी मददगार होंगे.
Tags: Bizarre news, Science facts, Science news, Shocking news, Space knowledge, Space news, Space Science, Weird news
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 08:01 IST