जामनगर: गुजरात के जामनगर में जहां गर्मियों में आइसक्रीम और गोला की धूम रहती है, वहीं, सर्दियों की बात करें तो यहां आयुर्वेदिक कावे की ज़बरदस्त मांग रहती है. बता दें कि जामनगर और आयुर्वेद का पुराना नाता है. यह शहर अपने आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध है.
ठंड की शुरुआत होते ही लोग हेल्दी कावा पीने के लिए जामनगर के हवाई चौक इलाके में उमड़ पड़ते हैं. खास बात ये है कि यह कावा जो चार से पांच पीढ़ियों से बन रहा है, विदेशों तक भी पहुंचता है और यहां तक की कि टूरिस्ट जब यहां आते हैं तो कावा मसाले के पैक विदेश ले जाना नहीं भूलते.
42 मसालों से बनता है आयुर्वेदिक कावा
बता दें कि कावे को बनाने में 42 आयुर्वेदिक मसालों का उपयोग होता है. इनमें बुण्डदानुम, लौंग, तुलसी, काली मिर्च, अदरक, अडूसा, सेंधा नमक और नींबू जैसे मसाले शामिल हैं. इस कावे में आयुर्वेद के सभी रस मौजूद होते हैं, सिवाय मीठे रस के. इसे पीने वाले की पसंद के अनुसार कावा कड़वा, खट्टा, नमकीन, तीखा या कसैला तैयार किया जाता है.
लोकल 18 से बात करते हुए इसके निर्माता (maker) किरीट भानुशाली का कहना है कि इसे पीने से सर्दी, खांसी, बलगम, गैस और अपच जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं. कावा तैयार करने के लिए गुड़ को दिन में मिलाया जाता है और इसे रात में तांबे के बर्तन में गर्म किया जाता है. उनका कहना है कि तांबा शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इसलिए तांबे के साथ गर्म करने पर कावे में उसके लाभकारी तत्व घुल जाते हैं. यह कड़ाके की ठंड में स्फूर्ति और गर्माहट देता है, इसलिए इसे ‘जादुई ड्रिंक’ भी कहा जाता है.
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विदेश तक पहुंचा जामनगर का कावा
जामनगर से विदेश में बसे रिश्तेदारों के लिए भी कावा मसाले के पैक भेजे जाते हैं. यही नहीं, जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद से आगे यह स्वाद लंदन, नैरोबी और कनाडा तक पहुंच चुका है. सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, जामनगर के युवा भी इस कावे का आनंद लेते हैं. डॉक्टर भी आयुर्वेद से भरपूर इस ड्रिंक का स्वाद चखने से पीछे नहीं हटते. किन्जल मिशकरी ने बताया कि युवाओं को भी यह स्वाद काफी पसंद है, जिसकी वजह से रात के समय यहां भारी भीड़ लगती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 09:38 IST