खरगोन जिला अस्पताल
दीपक पांडेय/खरगोन.मनुष्य जीवन में एक अवस्था ऐसी आती है, जब वह किसी ना की बीमारी की गिरफ्त में आ जाता है, ओर फिर यह बीमारी उसकी मौत का कारण बन जाती है. हालांकि, अधिकांश बीमारियों का इलाज संभव है और लोगों को बचाया भी जा सकता है, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी होती है, जिनका इलाज भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी डॉक्टर खोज नहीं पाया है. सिकल सेल एनीमिया ऐसी ही एक बीमारी है, ओर जो इस बीमारी की चपेट में आता है उसकी उम्र घट जाती है वह जल्दी मर जाता है.
डॉक्टरों के मुताबिक, सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है, जो जन्म के साथ आती है. यह बीमारी भी कैंसर की तरह ही मानी जाती है, जिसे पूरी तरह खत्म करने का इलाज नहीं है. लेकिन, समय पर पता चल जाए तो इलाज के जरिए पीड़ित की उम्र कुछ साल बढ़ाई जा सकती है. हालांकि, इस बीमारी से ग्रसित मरीज को काफी समय तक पता नहीं लग पाता है. लेकिन, कुछ लक्षणों और मेडिकल टेस्ट के आधार पर पुष्टि की जा सकती है.
खरगोन में 1500 से ज्यादा पॉजिटिव मरीज
डॉक्टरों से बातचीत के अनुसार, यह बीमारी ज्यादातर अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) समाज के लोगों में होती है. लेकिन, समय के साथ ट्रेड बदला है और अब अन्य समाज के लोगों में भी लक्षण पाए जा रहे है. मध्य प्रदेश का खरगोन भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. ताजा आंकड़ों के अनुसार, अकेले खरगोन में 1500 से ज्यादा सिकल सेल पॉजिटिव (डिसीज) मरीज पाए गए है और ट्रेड मरीज 2 लाख से ज्यादा है. जबकि पूरे मध्य प्रदेश में दस हजार से ज्यादा पॉजिटिव (डिसीज) मरीज है.
ऐसे फैलती है बीमारी
जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ अमर सिंह चौहान और डॉ. हितेश मुजाल्दा ने बताया कि, सिकल सेल एनिमिया असामान्य हिमोग्लोबिन के कारण होने वाली रक्त की एक अनुवांशिक बिमारी है. जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सिकल के आकार की हो जाती है. यह उनके ऑक्सिजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करती है. जिससे खून की कमी हो जाती है.
20 वर्ष तक ही जीवित रहते है बच्चें
उन्होने आगे बताया कि अनुवांशिक रोग को जड से खत्म करने का कोई उपाय फिलहाल नहीं है, लेकिन सही समय पर उपचार द्वारा इसे बढने से रोका जा सकता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति और ऐसे बच्चो का जीवन अधिकतम 20 वर्ष का होता है. हालांकि दवाईयों के जरिए जीवन 35 से 45 वर्ष तक बढाया जा सकता है.
सिकल सेल के सामान्य लक्षण
बार-बार खून की कमी होने लगती है. हाथ पैरों में सूजन, कमर दर्द, सीने में दर्द, थकान, चक्कर, घबराहट, पीलिया, पेट दर्द, पेशाब में खून आना, बार-बार गर्भपात होना, बार-बार बुखार आना और कुपोषण की वजह से वजन एवं लम्बाई बढने मे देरी होना आदि इसके लक्षण है.
इस तरह बढ़ाई जाती है उम्र
सिविल सर्जन के बताया कि, सरकारी अस्पताल में फ्री में सिकल सेल की जांच होती है. हर मंगलार को विशेष कैंप भी लगता है. पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल डे केयर सेंटर भी उपलब्ध है. यहां पॉजिटिव मरीजों को नि:शुल्क ब्लड चढ़ाया जाता है. साथ में टीके भी लगाए जाते है. जिससे व्यक्ति ज्यादा समय तक जीवित रह पता है. अस्पताल में सभी पॉजिटिव ओर ट्रेड मरीजों के सिकलसेल कार्ड भी बनाए गए है.
FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 22:28 IST