मां ब्रह्मचारिणी
उज्जैन. शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में भगवती मां दुर्गा पूरे नौ दिन तक धरती पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि नवरात्रि के दूसरे दिन किस देवी की उपासना की जाए और कौन सा भोग लगाया जाए.
मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ है— ‘ब्रह्म’ यानी तप और ‘चारिणी’ यानी आचरण करने वाली. अर्थात, मां ब्रह्मचारिणी तप का आचरण करने वाली आदि स्रोत शक्ति हैं. मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं. कठोर तप के कारण इनके मुख पर अद्भुत तेज होता है. मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है, और इन्हें साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से सहज ही सिद्धि प्राप्त होती है.
कैसे पड़ा नाम ब्रह्मचारिणी?
मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, और इसी वजह से उनका नाम ‘ब्रह्मचारिणी’ पड़ा. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है. इनकी साधना और उपासना से जीवन की हर समस्या और संकट दूर हो जाते हैं. विद्यार्थियों के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत ही फलदायी मानी जाती है.
जरूर करें इन मंत्रों का जाप
- या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
जरूर लगाएं मां ब्रह्मचारिणी को यह भोग
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें चीनी या गुड़ का भोग लगाएं. मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या गुड़ अर्पित करने से अकाल मृत्यु का संकट दूर हो जाता है, और साथ ही माता रानी दीर्घायु का आशीर्वाद भी देती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 4, 2024, 04:01 IST
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