Navratri 2024 Day 3: ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा, आचार्य से जानें सही विधि

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मां चंद्रघंटा की इस विधि से करें पूजा. 

उज्जैन. शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में भगवती मां दुर्गा पूरे नौ दिन तक धरती पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन किस देवी की उपासना की जाए और कौन सा भोग लगाया जाए.

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विधि-विधान, सच्चे मन और श्रद्धा भाव से करें तो आप पहले से अधिक साहसी और निडर हो सकते हैं. कुंडली में मौजूद शुक्र ग्रह से संबंधित दोष भी दूर होता है. ऐसा इसिलए, क्योंकि मां चंद्रघंटा का संबंध शुक्र ग्रह से भी है. यदि आप अपने परिवार में सुख-समृद्धि लाना चाहते हैं तो भी देवी की पूजा करने से लाभ होता है. इससे वे प्रसन्न होकर परिवार की रक्षा करती हैं. शादी में रुकावट आ रही है तो दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से रिश्ता जल्दी तय हो सकता है. शादी में आ रही अड़चनें दूर होती हैं. साथ ही चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की मिलती है.

जानिए कैसा है मां चंद्रघंटा का स्‍वरूप
मां चंद्रघंटा की सवारी स‍िंह है और उनका रूप सौम्‍य है. स‍िंह पर सवार मां चंद्रघंटा का स्‍वरूप शांतिदायक है. उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्थचंद्र है, इसलि‍ए उन्‍हें चंद्र घंटा कहा जाता है. उनके 10 भुजाएं हैं और सभी अलग-अलग शस्‍त्रों से व‍िभूष‍ित हैं. वह हाथ में गदा, त्र‍िशूल, तलवार और धनुष धारण करती हैं. उनकी मुद्रा ऐसी है जैसे वह दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर हैं. इसलिए अपने भक्‍तों के कष्‍टों का न‍िवारण वो त्‍वर‍ित रूप से करती हैं.

मां चंद्रघंटा को जरूर लगाए यह भोग
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माना जाता है कि व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए माता चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयों और खीर का भोग लगाना चाहिए.

जरूर करें इन मंत्रों का जाप
– “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।
-पिंडज प्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
– ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

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FIRST PUBLISHED :

October 5, 2024, 04:39 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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