OMG! करेंसी कलेक्शन का गजब शौक, 45 देशों के नोट-6000 से ज्यादा खास सिक्के

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अपना करेंसी कलेक्शन दिखाते नरेश खंडूड़ी.

श्रीनगर गढ़वाल. कुछ लोगों को प्राचीन और विदेशी करेंसी इकट्ठा करने का शौक होता है. ऐसी ही पुरानी और विदेशी करेंसी इकट्ठा करने के शौकीन उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल निवासी नरेश खंडूड़ी को भी है. वह पेशे से एक इंजीनियर हैं लेकिन उनके पास पुर्तगाली से लेकर मुगलकाल के सिक्कों तक का कलेक्शन है. इसके अलावा वह अब तक 45 देशों की करेंसी और 6000 से ज्यादा सिक्के इकट्ठा कर चुके हैं. उनकी करेंसी कलेक्शन की शुरुआत तब से हुई, जब उनके दोस्त ने उन्हें अमेरिका का पांच डॉलर का सिक्का दिया था. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें करेंसी कलेक्शन का शौक शुरू हुआ.

नरेश खंडूड़ी ने लोकल 18 को बताया कि वर्तमान में उनके पास 45 देशों की करेंसी और 6000 से ज्यादा सिक्के हैं. बचपन में उनके दोस्त ने उन्हें अमेरिका का पांच डॉलर का एक सिक्का दिया था. तब से उन्हें करेंसी इकट्ठा करने का शौक लगा. शुरुआत में वह केवल सिक्के इकट्ठा किया करते थे. जब से उनकी नौकरी लगी, तब से उन्होंने विदेशी करेंसी भी कलेक्ट करना शुरू कर दिया.

मुगल बादशाह अकबर के समय के सिक्कों का कलेक्शन
वह बताते हैं कि उनके पास पुर्तगाली और मुगलकालीन सिक्के भी हैं. साथ ही भारतीय करेंसी के तो उनके पास लगभग पूरे नोट हैं. उनके पास 000786 नंबर का नोट भी है. इसके अलावा उनके पास मुगल बादशाह अकबर के समय के सिक्के भी हैं, जो छेनी से काटकर बनाए जाते थे. खंडू़ड़ी बताते हैं कि करेंसी कलेक्शन करना एक तरीके का नशा है, जब भी उनका कोई दोस्त विदेश जाता है, तो वह उन से जरूर विदेशी करेंसी मंगवाते हैं. नौकरी के दौरान एक बार गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति विदेश गई थीं. उनको मेरे करेंसी कलेक्शन के बारे में जानकारी थी. कुलपति ने विदेश से लौटने के बाद उनको अलग-अलग देशों की करेंसी उपहार स्वरूप दी थी. ऐसे ही उन्होंने अपने मित्रों और गढ़वाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों से विदेशी करेंसी मंगवाकर इकट्ठा की.

नरेश के बेटे विनायक भी डाक टिकट कलेक्शन का रखते हैं शौक
नरेश खंडूड़ी के बेटे विनायक खंडूड़ी ने लोकल 18 से कहा कि अपने पिता को करेंसी इकट्ठा करते हुए देखकर उन्हें भी करेंसी इकट्ठा करने में रुचि होने लगी. अब उन्हें भी कई कोई अलग या विदेशी करेंसी दिखती है, तो वह अपने पिता के कलेक्शन को बढ़ाते हैं. उनके चाचा ने उन्हें एक जापानी करेंसी दी थी. जिसके बाद उन्होंने उसे अपने पिता को दिया. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें भविष्य में विदेश जाने का मौका मिलता है, तो वह अपने पिता के कलेक्शन के लिए विदेशी करेंसी वहां से जरूर लाएंगे. विनायक खुद भी डाक टिकट कलेक्शन का शौक रखते हैं और उनके द्वारा अभी बहुत से डाक टिकटों का कलेक्शन किया गया है.

Tags: Local18, Pauri Garhwal News, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 21:36 IST

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