Rajat Sharma's Blog | “हम जीते तो सही, हारे तो ग़लत"

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Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog Latest, Rajat Sharma- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

महाराष्ट्र में कांग्रेस, उद्धव की शिवसेना और शरद पवार की NCP अभी भी अपनी हार स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। महाविकास अघाड़ी के नेता अब EVM के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के हारे हुए उम्मीदवारों के साथ बैठक की और उन्हें निर्देश दिया है कि जहां-जहां EVM पर शक है, उन विधानसभा क्षेत्रों में 5 परसेंट EVMs का VVPAT से मिलान कराने की पिटीशन फाइल करें। चूंकि ये नियम है कि काउंटिंग के पांच दिन बाद तक किसी भी असैंबली सेगमेंट में कोई उम्मीदवार वोटिंग मशीनों के रिजल्ट को VVPAT से मैच कराने की गुजारिश कर सकता है।

चूंकि महाराष्ट्र में 23 नवंबर को काउंटिंग हुई थी, VVPAT से मिलान कराने की पिटीशन फाइल करने का आखिरी दिन गुरुवार है। इसलिए हो सकता है ज्यादातर असेंबली सीटों पर उद्धव की पार्टी के नेता कल इस तरह की पिटीशन फाइल करें।

शरद पवार भी अपनी पार्टी के हारे हुए उम्मीदवारों को EVM के जरिए गड़बड़ी के सबूत इकट्ठा करने का निर्देश दे चुके हैं। इसके बाद नाना पटोले ने भी ऐलान कर दिया कि कांग्रेस EVM के खिलाफ पूरे महाराष्ट्र में सिग्नेचर कैंपेन चलाएगी। पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र में लोगों का वोट चुराया गया इसलिए कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में EVM की जगह बैलेट से वोट कराने की लड़ाई भी लडेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पहले ही मांग कर चुके हैं कि अब ईवीएम की जगह बैलेट का इस्तेमाल किया जाय। महाराष्ट्र के चुनाव को लेकर कांग्रेस की दलील ये है कि लोकसभा चुनाव में उनके गठबंधन ने 48 में से 30 सीटें जीतीं थीं। पांच महीने बाद विधानसभा में 288 में से सिर्फ 48 सीटें कैसे आ सकती हैं?

कांग्रेस के नेता भूल गए कि दिल्ली में जून 2019 में लोकसभा की 7 की 7 सीटें बीजेपी ने जीती थी। 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी को 70 में से सिर्फ 8 सीटें मिलीं। इससे थोड़ा पहले चले जाएं। दिल्ली में 2014 में बीजेपी ने लोकसभा की सातों सीटें जबरदस्त मार्जिन से जीती थीं लेकिन कुछ महीने बाद जब चुनाव हुए तो केजरीवाल ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, 70 में से 67 सीटें हासिल कीं। तो मतदाता कुछ महीनों में अपना मन कैसे बदल लेता है?

इसका सबूत तो हमारे सामने है। लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी 240 पर अटकी तो कांग्रेस के लिए EVM महान थी, ना बैटरी पर सवाल उठाया, ना VVPAT मिलवाया। अगर उस समय बीजेपी 300 सीटें पार कर जाती तो कांग्रेस जरूर कहती कि EVM में गड़बड़ की गई। राहुल गांधी अबतक बैलेट यात्रा निकाल चुके होते।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस ने EVM पर सवाल उठाए। मशीनों की 99 परसेंट बैटरी का जिक्र किया। चुनाव आयोग ने 1500 पेज का जवाब भेजा। जब VVPAT के मिलान पर सवाल पूछा गया तो चुनाव आयोग ने बताया कि 4 करोड़ वोटों का VVPAT से मिलान किया गया और एक भी गलती नहीं निकली।

एक और दिलचस्प बात ये है कि जब पहली बार EVM की शिकायतें आईं तो चुनाव आयोग ने एक Hackathon आयोजित किया। कहा, जिसको भी शिकायत है आए hack करके दिखाए लेकिन कोई नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट में बार बार EVM को लेकर सवाल उठाए गए हैं। हर पीटिशन को कोर्ट ने खारिज किया है तो भी अगर किसी के पास कोई सबूत है, कोई genuine ग्राउंड है तो वो जरूर शिकायत कर सकता है, लेकिन बिना सबूतों के हवा-हवाई बात करना, जिन सवालों के जवाब दिए जा चुके हैं, उन्हें बार बार उठाना ठीक नहीं है।

झारखंड में EVM सही और महाराष्ट्र में गलत बताना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि जब चुनाव प्रक्रिया के प्रति लोगों के मन में आशंका होती है, तो हालात वैसे ही बनते हैं, जैसे हमारे पड़ोसी पाकिस्तान के हो गए हैं।(रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 नवंबर, 2024 का पूरा एपिसोड

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