अंडरग्राउंड रास्ता और 300 साल पुराना इतिहास... क्या है इस बावड़ी का रहस्य?

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:January 27, 2025, 21:59 IST

Balaghat News : बालाघाट से 15 किलोमीटर दूर हट्टा की बावड़ी तीन शताब्दी पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे बुलंद शाह ने सैनिकों के लिए बनवाया था. हैहय, गोंड और भोसले वंशों की स्थापत्य कला इस बावड़ी में झलकती है. 198...और पढ़ें

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हट्टा

हट्टा की बावली 

हाइलाइट्स

  • हट्टा की बावड़ी तीन सौ साल पुरानी है.
  • बावड़ी पर हैहय, गोंड और भोसले राजवंशों का शासन रहा.
  • बावड़ी में एक अंडरग्राउंड रास्ता है जो किले में जाकर मिलता है.

बालाघाट. पर्यटन क्षेत्र के मामले में बालाघाट अग्रणी जिलों में शामिल है. यहां पर कई शताब्दी पुराने स्मारक से लेकर कई पौराणिक स्थान हैं, जो पुरातत्व विभाग के पास संरक्षित करने के लिए अधीन हैं. ये धरोहर भारत के गौरवशाली इतिहास के साक्षी हैं. फिलहाल हम बात कर रहे हैं, बालाघाट से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित हट्टा की बावड़ी की. यह बावड़ी लगभग तीन सौ साल पुरानी है, जिस पर तीन राजवंशों का शासन रहा.

इतिहासकार वीरेंद्र गहरवार ने बताया कि हट्टा की बावड़ी का इतिहास तीन शताब्दी पुराना है. दरअसल, इस बावड़ी को नागपुर शहर बसाने वाले बुलंद शाह ने 17वी शताब्दी में बनवाया था. यह बावड़ी सैनिकों के रुकने, आराम करने और पीने के पानी के लिए बनाई गई थी. वहीं, इस बावड़ी पर तीन राजवंशों का शासन रहा, जिसमें हैहय, गोंड और भोसले शामिल हैं. ऐसे में इनमें इन वंशों की स्थापत्य कला की कलाकृतियां दिखाई पड़ती हैं. बताया जाता है कि यहां एक अंडरग्राउंड रास्ता था, जो लांजी के किले में जाकर मिलता है.

1988 में हुई पुरातत्व विभाग के हवाले
लोधी जमींदारों के वंशज प्रताप नगपुरे ने बताया कि यह बावड़ी तीन राजवंशों से होकर जमींदारों तक पहुंची. ऐसे में सन् 1818 में लोधी जमींदारों के हाथ में चली गई. इसके बाद आजादी के बाद तक यह बावड़ी लोधी वंश के पास ही थी. वहीं, लोधी जमींदारों के वंशज प्रताप नगपुरे ने बताया कि फरवरी 1988 में यह बावड़ी पुरातत्व विभाग के सौंप दी गई .

अब जर्जर होने लगी बावड़ी
अब यह बावड़ी जगह-जगह जर्जर होने लगी है. वहीं, यहां पर आने वाले पर्यटक भी यहां स्वच्छता को नजरअंदाज करते हैं. ऐसे में यहां पर कचरे का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में पर्यटकों को भी इन स्मारकों को संरक्षित करने के लिए जागरूक होने की जरूरत है. वहीं, पुरातत्व विभाग का कहना है कि इसके संरक्षण के लिए विभाग जरूरी कदम उठा रहा है.

Location :

Balaghat,Madhya Pradesh

First Published :

January 27, 2025, 21:59 IST

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