जम्मू-कश्मीर के बूढ़ापत्रि में एनकाउंटर के दौरान अनंतनाग के रहने वाले भारतीय सेना के जवान राइफल मैन केसर अहमद शाह ने बहादुरी का परिचय दिया। राइफ़ल मैन कैसर अहमद शाह अपनी गाड़ी में बैठकर काफिले को बेस कैंप पर ले जा रहे थे उसी दौरान आतंकियों ने ऊंचाई से घात लगाकर हमला किया। ये इलाक़ा बॉर्डर से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर है और गुलमर्ग से पाँच किलोमीटर दूरी पर ये पहाड़ी और जंगली इलाक़ा है एक तरफ़ पहाड़ है तो दूसरी तरफ नाला। यहीं पर सेना के काफिले पर आतंकी हमला हुआ।
इस इलाके में लगातार भारतीय सेना के काफिले की आवाजाही रहती है और यही वजह है कि आतंकियों को उनके ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से सूचना मिली थी कि भारतीय सेना का क़ाफ़िला यहाँ से क्रॉस कर रहा है। इसी बीच आतंकियों ने घात लगाया। आतंकियों की संख्या क़रीबन 3-4 के लगभग थी। उसी बीच पहाड़ के ऊपर की तरफ से आतंकियों ने burst राउंड फायर किया। इसी फायरिंग में गाड़ी के ड्राइवर और राइफल मैन केसर अहमद शाह को गोली लग गई साथ में इस गाड़ी में चार पोर्टर भी मौजूद थे। इनमें से दो पोर्टर जो कि बारामूला के रहने वाले थे उनको भी गोली लगी और वहीं वो वीरगति को प्राप्त हुए।
आतंकियों ने पांच मिनट तक लगातार फायरिंग की लेकिन बहादुरी का परिचय देते हुए भारतीय सेना के वीर राइफल मैन कैसर अहमद शाह जो कि अनंतनाग कश्मीर के रहने वाले हैं उन्होंने गोली लगने के बावजूद अपना हथियार उठाया और आतंकियों की तरफ लगातार गोलीबारी शुरू कर दी। कैसर के साथ भारतीय सेना के दो और जवान आतंकियों को लगातार गोलियों से चारों तरफ से घेराव करने की कोशिश कर रहे थे। उसी बीच आतंकी पास नहीं आ पाए और कम से कम 300 राउंड से ज़्यादा गोलीबारी की गई।
आतंकी एक तरफ़ पहाड़ और दूसरी तरफ नाले की आड़ में थे और फिर रायफल मैन कैसर अहमद शाह ने लगातार फ़ायरिंग की जिसकी वजह से आतंकियों ने अपना एक पिट्ठू बैग जिसमें उनका सामान है और फ्लेम फायरर जिसका इस्तेमाल आतंकी आग लगाने के लिए करते हैं उसे छोड़कर भाग गए जिनको बरामद किया गया है।
जानकारी के मुताबिक़ इन आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन अभी भी जारी है। भारतीय सेना की 18वीं राष्ट्रीय रायफल की यूनिट और उसके अलावा स्पेशल फ़ोर्स के जवान इस समय आतंकियों की खोजबीन में लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर पुलिस उनके ओवर ग्राउंड वर्कर्स की खोजबीन कर रही है। इंडिया TV को इस बात की जानकारी मिली है कि ये आतंकवादी पहले से ही अंदर इस इलाके में मौजूद थे। (रिपोर्ट: मनोज कुमार)