आम के पेड़ों को बर्बाद कर देगा ये रोग, फौरन हो जाएं अलर्ट...ये है आसान उपाय

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Last Updated:January 18, 2025, 23:57 IST

Farming tips: आम के पेड़ों में मधिया रोग से बचाव के लिए किसानों को सही दवाओं और जैविक उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे आम के उत्पादन को सुरक्षित किया जा सकता है और किसानों को बेहतर पैदावार मिल सकती है.

आम के पेड़ों को बर्बाद कर देगा ये रोग, फौरन हो जाएं अलर्ट...ये है आसान उपाय

आम का मधिया रोग

जूनागढ़ में आम के सीजन का इंतजार अब कुछ ही महीनों में खत्म होने वाला है. आम के पेड़ों में फूल आने की प्रक्रिया इस समय चल रही है, जिसके बाद जल्द ही फल आना शुरू हो जाएगा. आम का स्वाद गर्मियों में लोगों के बीच खासा पसंद किया जाता है, और इसकी पैदावार का इंतजार हर कोई करता है. लेकिन यह स्वादिष्ट फल तब तक लोगों तक पहुंचने से पहले ही किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब आम के पेड़ों में कोई बीमारी आ जाती है. इन बीमारियों से बचाव के लिए किसान लगातार दवाइयों और देखभाल की मदद से काम करते हैं, लेकिन फिर भी कई बार आम के पेड़ों में बीमारियाँ आने लगती हैं. इनमें से एक आम की मधिया (mango hopper) रोग है, जिसे किसानों के लिए पहचानना और इससे बचाव करना जरूरी होता है.

मधिया रोग की पहचान
मधिया रोग आम के पेड़ों में एक सामान्य बीमारी है, जो शुरुआत में दिखाई नहीं देती. इसे पहचानने के लिए किसान को पेड़ों पर छोटे और हल्के राख के रंग के कीट दिखाई देंगे. ये कीट तेजी से चलते हैं और इनके सिर पर गहरे रंग के तीन धब्बे होते हैं, जो समय के साथ हरे और फिर भूरे रंग के हो जाते हैं. मधिया रोग में तीन प्रमुख कीट होते हैं, जिनके नाम हैं: Amritodous Arkinsoni, Idioscopus Clypealis, और Idioscopus Niveosparsus.

कीट प्रबंधन के उपाय
अगर आम के पेड़ों में इस कीट का प्रकोप बहुत बढ़ जाए, तो किसानों को कुछ उपायों की आवश्यकता होती है. सबसे पहले बड़े पेड़ों की छंटाई करनी चाहिए, ताकि नई कोंपल और फूल आने की शुरुआत में पेड़ की स्थिति ठीक रहे. फिर, किसानों को दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. इस रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है:

  • कार्बारिल 50% WP 40 ग्राम या क्विनालफॉस 25% EC 20 मिली
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.5% SL 2.8 मिली
    -इन दवाओं को 10 लीटर पानी में घोलकर पेड़ पर छिड़काव करना चाहिए. अगर कीटों का प्रकोप अधिक हो, तो साइपरमेथ्रिन 10% EC 5.4 मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8% EC 3 मिली का उपयोग करना चाहिए. इन दवाओं का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर किया जा सकता है.

जैविक नियंत्रण के उपाय
कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए बिवेरिया बैसियाना या लेकनिसिलियम लेकानी जैसे जैविक पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. इन जैविक दवाओं का छिड़काव कीटों के प्रकोप के शुरू होते ही 15 दिन के अंतराल पर दो बार किया जाना चाहिए. इस तरह, किसान कीटों के प्रभाव को कम कर सकते हैं और आम की अच्छी पैदावार को सुनिश्चित कर सकते हैं.

First Published :

January 18, 2025, 23:57 IST

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