कुल्लू की एक पुरानी तस्वीर
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- News18 Jharkhand
- Last Updated : November 20, 2024, 12:37 IST
कुल्लू. हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा जिला जो अपने खूबसूरत पर्यटन स्थानों के कारण विश्व प्रसिद्ध है. हम सभी लोग इस क्षेत्र को आज कुल्लू के नाम से जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि इस क्षेत्र का यह नाम कैसे पड़ा और कुल्लू का इतिहास कितना पुराना है.
कुलंथपीठ पीठ हुआ करता था कुल्लू का नाम
इतिहासकार सूरत ठाकुर बताते है कि प्राचीन समय में कुल्लू घाटी को कुलांत पीठ या कुलंथपीठ के नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब है रहने योग्य दुनिया का अंत. कुलांत पीठ यानी कि वह पवित्र स्थान यहां मानव बस्ती का अंत होता है. कुल्लू पहाड़ों की ऊंचाई में बसा वह आखिरी गांव हुआ करता था जहां मानव बस्ती रहा करती थी. तब लोग लाहौल तक नहीं जाया करते थे. ऐसे में पहाड़ी की ऊंचाई पर बसे मानव बस्ती के इस स्थान को कुलांत पीठ के नाम से जाना जाता था.
समय के साथ बदला कुल्लू का नाम
डॉ सूरत ठाकुर बताते है कि समय के साथ इस क्षेत्र के नाम में परिवर्तन हुआ और आज लोग इसे कुल्लू के नाम से जानते है, जहां पहले इस क्षेत्र को कुलंथपीठ के नाम से जाना जाता था. फिर बाद में इसका नाम कुलूत पड़ा. पहली और दूसरी शताब्दी तक इस क्षेत्र को कुलूत के नाम से ही जाना जाता था, लेकिन धीरे कुलूत नाम से ‘त’ अक्षर गुम होता गया और इसका नाम कुल्लू हुआ. कहा जाता है कि कुल्लू का इतिहास लगभग 2000 साल पहले का है. ‘कुल्लू’ शब्द का अनुमान ‘कुलुता’ शब्द से लगाया गया है, जो पहली शताब्दी ईस्वी के एक सिक्के पर अंकित पाया गया था. ऐतिहासिक अभिलेखों में उल्लिखित पहला राजा (राजा) विरयासा था जिसका नाम उस सिक्के पर ‘विरयासा, कुलुता का राजा ‘ के रूप में अंकित है.
अखंड भारत के सपने में चाणक्य के साथ थे कुल्लू के राजा
कुल्लू का इतिहास न सिर्फ महाभारत से जुड़ा हुआ है. बल्कि चाणक्य के एक भारत के सपने में कुल्लू के राजाओं का जिक्र आता है. कहा जाता है कि जब चाणक्य अखंड भारत के सपने को पूरा करने के लिए सभी राजाओं को इकट्ठा कर रहे थे. तब उनका साथ कुल्लुतेश्वर ने दिया था. कुल्लुतेश्वर यानी कि कुल्लू का राजा. बाद में कुलूत से बदल कर इस जगह का नाम कुल्लू होगया.
सबसे पुरानी रियासतों में है कुल्लू
कुल्लू सबसे पुरानी रियासतों में से एक मानी जाती है. डॉ सूरत ठाकुर बताते है कि 2 ही रियासतें ऐसी है, जिनका जिक्र वैदिक काल से आता है. एक है कुल्लू दूसरी है त्रिगर्त. महाभारत में जिक्र आता है कि अपने अज्ञातवास के वक्त पांडव कुल्लू के इलाकों में आए थे. यही पर भीम हिडिंबा से भी मिले थे. साथ ही यह भी कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में कुल्लू के राजा ने कौरवों का साथ दिया था और त्रिगर्त के राजा ने भी कौरवों का साथ दिया था. तो यह प्रमाण है कि कुल्लू एक बेहद पुराना राज्य रहा है और वक्त के साथ साथ इस क्षेत्र का नाम बदला है.
Editer- Anuj Singh
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 12:37 IST