एआई से हुआ गोडावण का बच्चा
कुलदीप छंगाणी/ जैसलमेर: जैसलमेर के सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. यहां कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के जरिए गोडावण का पहला चूजा पैदा हुआ है. यह उपलब्धि न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के लिए एक अहम कदम है. यह भारत का पहला मामला है, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान से गोडावण का जन्म हुआ है.
स्पर्म बैंक बनाने की योजना
डीएफओ आशीष व्यास ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रयास से अब गोडावण का स्पर्म सुरक्षित रखकर एक स्पर्म बैंक तैयार किया जा सकेगा. इससे भविष्य में गोडावण की घटती जनसंख्या को बढ़ाने में सहायता मिलेगी. उन्होंने बताया, यह भारत में पहली बार हुआ है कि कृत्रिम गर्भाधान के जरिए गोडावण का चूजा पैदा हुआ है. इससे हमें भविष्य में इस प्रजाति की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मिली सफलता
डीएफओ व्यास ने बताया कि इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन, अबू धाबी (IFHC) ने तिलोर पक्षी पर इसी तरह का सफल परीक्षण किया था. भारत के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने वहां जाकर इस तकनीक को सीखा. इसके बाद गोडावण पर इसी तकनीक का परीक्षण किया गया, जिसका सफल परिणाम जैसलमेर में देखने को मिला.
कैसे हुआ कृत्रिम गर्भाधान?
रामदेवरा स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में एक मेल गोडावण, जिसका नाम सुदा है, उसको कृत्रिम मेटिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया. इसके स्पर्म को इकट्ठा कर सुदासरी स्थित ब्रीडिंग सेंटर में भेजा गया. 20 सितंबर को मादा गोडावण टोनी को कृत्रिम गर्भाधान किया गया, जिससे गोडावण का चूजा पैदा हुआ. इस सफलता से गोडावण प्रजाति के संरक्षण और उनकी जनसंख्या बढ़ाने की दिशा में नए रास्ते खुल गए हैं, जो इस दुर्लभ पक्षी को विलुप्त होने से बचाने में मददगार साबित होंगे.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 20:05 IST