आज की महिला पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर है लेकिन फिर भी कभी सड़क पर, कभी ऑफिस में तो कभी घर पर जाने-अनजाने में हिंसा का शिकार हो रही होती है. कई बार तो उन्हें पता भी नहीं चलता कि उनके साथ हिंसा हो रही है. हिंसा जरूरी नहीं हमेशा मारपीट कर हो. हिंसा इमोशनली, साइकोलॉजिकल, फाइनेंशियल और सेक्शुअल एब्यूज के रूप में भी हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 3 में से 1 महिला हिंसा की शिकार होती है. आज 25 नवंबर है और यह दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बदलते वक्त में बराबरी की बात कही जाती है लेकिन महिलाएं पुरुषों के बराबर तब तक नहीं आ सकतीं, जब तक उन पर हिंसा खत्म नहीं होगी.
हर दिन महिलाएं बनती हैं पीड़ित
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में 445256 महिलाएं वॉयलेंस का शिकार हुईं. हर घंटे में 51 महिलाओं ने एफआईआर दर्ज कराई. 2021 में 428278 और 2020 में 371503 केस दर्ज हुए थे यानी हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ उनके पति या ससुराल वाले घरेलू हिंसा (31.4%) करते हैं. 18.7% महिलाएं असॉल्ट और 7.1% महिलाएं रेप का शिकार हुईं. लेकिन हैरानी की बात है कि जो महिलाएं फिजिकल वॉयलेंस का शिकार नहीं होतीं, उन्हें पता ही नहीं होता कि वह नॉन फिजिकल हिंसा का शिकार हो रही हैं और इसकी कहीं शिकायत भी दर्ज नहीं करतीं.
पत्नी का दूसरों के सामने मजाक उड़ाना
कई हस्बैंड भरी महफिल में अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने पत्नी का मजाक उड़ाते हैं. उनकी बॉडी शेमिंग करते हैं. कुछ सबके सामने यह तक कह देते हैं कि वाइफ को कुछ नहीं आता. पत्नी भी हंसकर बातें भूल जाती है. पति भले ही गाली ना दे लेकिन मजाक उड़ाना एक मेंटल वॉयलेंस है. ऐसा करना वाइफ की बेइज्जती है और इससे उनकी इमेज ही खराब होती है.
भारत में 3 में से 1 महिला घरेलू हिंसा का शिकार है (Image-Canva)
सैलरी आते ही पति को ट्रांसफर करना
कहते हैं महिलाएं पैसे संभालने में कमजोर होती हैं. पैसा आते ही वह खर्च कर देती हैं लेकिन शायद यह बात लोग भूल जाते हैं कि घर का खर्च एक महिला से बेहतर कोई नहीं संभाल सकता. महिलाओं का मनी मैनेजमेंट अच्छा होता है और वह सेविंग भी अच्छी-खासी करती हैं लेकिन पुरुष प्रधान समाज में इसको स्वीकार नहीं किया जाता. अब अधिकतर महिलाएं नौकरी या बिजनेस करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं लेकिन जब पैसों के हिसाब की बारी आती है तो फाइनेंस हस्बैंड संभालते हुए मिलते हैं. कई घरों में जैसे ही महिलाओं की सैलरी आती है, वह पति के पास ट्रांसफर हो जाती है . कई पुरुष अपनी पत्नी के साथ जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवा लेते हैं और उनके पैसे इस्तेमाल करते हैं. पति का फाइनेंस पर कंट्रोल भी एक अब्यूज ही है. ऐसी महिलाओं के डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और ई-वॉलेट पर भी पति का कब्जा होता है.
प्यार-प्यार से इमोशनल वॉयलेंस
मनोचिकित्सक मुस्कान त्यागी कहती हैं कि हमारे समाज में पति परमेश्वर होता है. पति का प्यार पत्नी के लिए सब कुछ होता है. ऐसे में अगर वह कोई भी गलत काम करे, उन्हें सपोर्ट ना करे, गाली दे, थप्पड़ मारे, उन्हें बाहर किसी से मिलने ना दे, घर में कैद रखे या उन्हें बात-बात पर गलत ठहराए और साथ-साथ प्यार भी जताए तो महिलाएं कंफ्यूज हो जाती हैं और समझती हैं कि पति प्यार तो करता है इसलिए उनकी हर गलती माफ कर देती हैं. दरअसल पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा इमोशनल होती हैं और उनके इमोशन से ही कई बार हस्बैंड उन्हें वॉयलेंस का शिकार बना देते हैं. पुरुषों का रौब और गलत व्यवहार महिलाओं को प्यार के सामने नजर नहीं आती. ऐसे में कई महिलाएं गैस लाइटिंग का भी शिकार हो जाती है.
अगर कोई महिला हिंसा का शिकार हो तो वह 1091 पर कॉल कर सकती है (Image-Canva)
पति की हर बात इसलिए मानती है पत्नी
प्यू रिसर्च सेंटर के 2019-21 के सर्वे के अनुसार 83.8% महिलाओं ने माना कि पति की हर बात को मानना चाहिए. पति गलती भी करे तो पत्नी को चुप रहना चाहिए और इसकी सीख उन्हें अपने घरवालों से ही मिली. अधिकतर घरों में बचपन में ही लड़कियां अपनी मां को पिता के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार होते हुए देखती हैं और यह उनके लिए सामान्य बात होती है. पति का हाथ उठाना या उनकी हर बात मानना वह अपना कर्तव्य समझ लेती हैं. उन्हें घर में कोई नहीं समझाता कि पति को ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर बेटी पति की शिकायत मायके में करती है तो उसे चुप रहने की सलाह और वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं. महिलाओं पर हो रही हिंसा तभी खत्म हो सकती है जब घरवाले उन्हें उनके हक के बारे में और सही-गलत का फर्क बताएं लेकिन वह खुद इससे अनजान रहते हैं.
सही-गलत का फर्क पैरेंट्स बताएं
समाज में सुधार की शुरुआत घर से होती है. मनोचिकित्सक मुस्कान त्यागी कहती हैं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा ना हो, इसके लिए माता-पिता को अपने बेटे और बेटियों की परवरिश पर ध्यान देना चाहिए. बेटे को बताना चाहिए कि हर लड़की की इज्जत करें. कभी उनके साथ बदतमीजी ना करें, हाथ ना उठाएं. वहीं बेटी को बताना चाहिए कि उनके साथ कौन कैसे गलत कर सकता है और उन्हें कैसे उसके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए. वहीं, घर में भी ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि पिता मां को कुछ गलत ना कहे. बचपन से जब लड़कों और लड़कियों को सही-गलत का फर्क पता होगा तो लड़के ना लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करेंगे और ना ही लड़कियां गलत चीजों को सहन करेंगी.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 13:28 IST