बकरा गाड़ी
चूरू : चूरू अपनी विशेषताओं के लिए प्रदेश में विशेष स्थान रखता है, पुराने जमाने में सेठ-साहूकार भी अपने अलग-अलग शौक के कारण अलग पहचान रखते थे. आपको सुनने में जरूर अटपटा लग सकता है. लेकिन ये सच है कि चूरू शहर में एकमात्र बकरा गाडी भी चला करती थी. इसे उस समय के तत्कालीन सेठ सागरमल मंत्री ने अपने लिए विशेष रूप से तैयार करवाया था.
नगरश्री के सचिव श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि ऊंट व बैल गाड़ियों का पुराने जमाने में प्रचलन आम था, उस समय बडे सेठ साहुकार सजे-धजे रथों में बैठकर आया करते थे. लेकिन सेठ सागरमल मंत्री ने अपने लिए विशेष तौर पर बकरा गाड़ी का निर्माण करवाया था. इसके आज भी अवशेष नगरश्री में रखे हुए हैं. हालांकि कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. शर्मा ने बताया कि सागरमल ने इसका निर्माण विशेष प्रकार की लकड़ी से करवाया था, कारीगर भी स्थानीय नहीं होकर बाहर से बुलवाए गए थे.
बाजार से सामान लाने निकलते थे
नगर सचिव श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि सागरमल उस समय बाजार से सामान को लाने के लिए इस विशेष बकरा गाड़ी का इस्तेमाल किया करते थे, इसके अलावा शहर में किसी परिचित से मिलने के लिए बकरा गाड़ी पर बैठकर जाते थे. उन्होंने बताया कि गाड़ी में जोतने वाले बकरे भी विशेष होते थे. काम करने वाले लोग बकरों को विशेष खुराक देते थे, सामान्य बकरों से उनकी कद काठी अलग ही हुआ करती थी.
नगर सचिव ने बताया कि पहिए के बीच में घुंघरू लगे हुए थे, जैसे ही वे बाहर निकलते उनकी आवाज से लोग पहचान लेते थे. उन्होंने बताया कि बकरा गाड़ी को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आया करते थे. नगरश्री में आज भी गाड़ी रखी हुई है, जिसे देखने के लिए देशी ही नहीं विदेशी लोग भी आते हैं. शर्मा बताते है कि सागरमल मंत्री की हवेली आज भी चूरू में मौजूद हैं. वंशज कभी-कभार सार-संभाल के लिए आते हैं
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FIRST PUBLISHED :
November 18, 2024, 17:23 IST