नई दिल्ली. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एसएमई (SME IPO) आईपीओ प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है. इन बदलावों का उद्देश्य इश्यू में पैसा लगाने वाले निवेशकों के हित सुरक्षित रखना, कंपनियों पर अनुपालन की सख्त आवश्यकताएं लागू करना और लिस्टेड बने रहने की लागत को बढ़ाना है. एसएमई आईपीओ में गड़बड़झाले की आ रही शिकायतों के बाद अब सेबी ने सुधार के लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर सुझाव मांगे हैं. सेबी के प्रस्तावों पर एक्सपर्ट का कहना है कि नियमों को सख्त बनाए जाने से चेक एंड बैलेंस बेहतर होगा. साथ ही कम्प्लायंस और बेहतर होगा.
सेबी ने यह कदम पिछले कुछ वर्षों में एसएमई आईपीओ में बढ़ते गड़बड़ियों के मामलों के बाद उठाया है. गौरतलब है कि कई एसएमई आईपीओ ने बढ़े हुए मूल्यांकन पर धन जुटाया, लेकिन बाद में निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा. सेबी ने कई कंपनियों को फंड के गलत इस्तेमाल या अन्य वित्तीय अनियमितताओं के कारण दंडित भी किया है. पिछले वित्त वर्ष में 196 इश्यू के साथ सबसे ज्यादा SME IPO आए. इनके माध्यम से 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई गई. चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर तक 159 एसएमई आईपीओ के जरिए कंपनियां 5,700 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जुटा चुकी है.
इन बदलावों की सिफारिश
एसएमई आईपीओ के आकार की कोई न्यूनतम सीमा अभी नहीं है. सेबी इसे अब ₹10 करोड़ करने का सुझाव दिया गया है. आईपीओ आवेदन राशि को चार गुना बढ़ाकर ₹4 लाख करने का प्रस्ताव है. प्रवर्तकों द्वारा बिक्री को आईपीओ साइज का 20% तक सीमित करने का सुझाव दिया गया है. सेबी सूचीबद्ध हुई एसएमई कंपनियों के लिए एक निगरानी एजेंसी की स्थापना करने का भी प्रस्ताव दिया है जो निवेशकों से जुटाए गए धन के इस्तेमाल पर नजर रखेगी.
इसके अलावा छोटे निवेशकों को बेहतर सुरक्षा देने के लिए, आवेदन राशि को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख करने, आईपीओ दस्तावेज को कम से कम 21 दिनों तक सार्वजनिक रखने और आईपीओ से पहले किसी कंपनी को पिछले तीन वर्षों में से दो वर्षों में ₹3 करोड़ का परिचालन लाभ दिखाना अनिवार्य किये जाने का प्रस्ताव भी सेबी ने रखा है.
बढ़ेगी निगरानी
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीएस फर्म एमएमजेसी के फांउडर मकरंद एम जोशी का कहना है, सेबी की ओर से एसएमई के लिए लिस्टिंग नियमों और कम्प्लायंस आवश्यकताओं में सुधार का प्रस्ताव सख्त कम्प्लायंस नियमों से अवांछित हेरफेर का पता लगाने के लिए ‘चेक एंड बैलेंस’ सुनिश्चित करेगा. वेल्थ मैनेजमेंट फर्म एनएवी कैपिटल के प्रबंध निदेशक विनीता अरोड़ा ने कहा, “सेबी के अधिकांश प्रस्ताव बाजार के दृष्टिकोण से एसएमई क्षेत्र को स्वस्थ बनाने की ओर हैं. हालांकि, न्यूनतम सब्सक्रिप्शन राशि बढ़ाना पूंजी जुटाने और व्यापक भागीदारी के लिए एक बाधा हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 12:32 IST