Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:January 30, 2025, 19:55 IST
Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी 28 नवंबर 1933 को एक अनुयायी की जिद पर बालाघाट आना पड़ा था. यहां उनका भव्य स्वागत हुआ, हजारों लोगों ने दर्शन किए. बालाघाट की महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में गहने...और पढ़ें
गांधी जी
हाइलाइट्स
- गांधी जी की 78वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है.
- गांधी जी अनुयायी की जिद पर बालाघाट आए थे.
- धान की बोरी से बने मंच से गांधी ने बालाघाट में संबोधित किया.
बालाघाट. गांधी जी की आज 78वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला हाउस में तीन गोली मारकर हत्या कर दी थी. गांधी को उनकी सादगी के लिए जाना जाता है. ऐसा ही एक किस्सा बालाघाट से जुड़ा हुआ है. दरअसल, अपने एक अनुयायी की जिद पर उन्होंने अपने रास्ते को बदलकर बालाघाट आने का फैसला किया था. लोकल 18 की इस रिपोर्ट में जानिए महात्मा गांधी के बालाघाट आने की कहानी…
अपने अनुयायी की जिद पर बालाघाट आए थे गांधी
दरअसल, लक्ष्मण पटेल नाम के शख्स लांजी में रहते थे. उस समय में वह गांधी के परम अनुयायी थे. ऐसे में उनकी इच्छा थी कि गांधी लांजी होते हुए बालाघाट जाएं. इसके लिए उन्होंने अनशन भी किया था. इसके बाद गांधी जी उनसे मिलने लांजी पहुंचे और उनका अनशन तुड़वाया था. इसके बाद वह मोहझरी, भानेगांव, हिर्री, किरनापुर, रजेगांव और सरेखा होते हुए बालाघाट आए थे.
गांधी जी का हुआ था भव्य स्वागत
28 नवंबर 1933 में गांधी जी का बालाघाट आगमन हुआ था. ऐसे में जिस रास्ते वह गुजरे वहां पर हजारों की भीड़ ने उनका स्वागत किया. जगह-जगह पर स्वागत द्वार बनाए गए. साथ ही लोगों ने शहर भर में तोरण, ध्वज लगाए थे. इसके अलावा शहर के इतवारी बाजार में धान के भरी बोरी से ऊंचा मंच बनाया गया था. इस दौरान उन्होंने बालाघाट की आम जनता को संबोधित किया था.
आजादी की लड़ाई में बालाघाट की महिलाएं
गांधी जी के आह्वान पर बालाघाट जिले की महिलाओं ने आजाद की लड़ाई में अतुलनीय योगदान दिया था. इतिहासकार वीरेंद्र सिंह गहरवार ने बताया कि सैकड़ों महिलाओं ने पहने हुए गहने उतारकर आजादी की लड़ाई के लिए दे दिए थे. इसके बाद गांधी जी जिले के वारासिवनी शहर से लालबर्रा होते हुए सिवनी जिले गए थे.
Location :
Balaghat,Madhya Pradesh
First Published :
January 30, 2025, 19:55 IST