Jammu Kashmir Chunav: जम्मू-कश्मीर में चुनावी नतीजे मंगलवार को आएंगे. लेकिन, उससे एक दिन पहले ही यहां खेल शुरू हो गया ह ...अधिक पढ़ें
- भाषा
- Last Updated : October 7, 2024, 21:47 IST
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आ जाएंगे. एग्जिट पोल के मुताबिक ऐसी काफी संभावना है कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बने. अगर ऐसा होता है तो इस केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार बनाने में पेंच फंस सकता है. इसके साथ ही यहां के संवैधानिक प्रावधानों को लेकर अभी से खेल शुरू हो गया है. दरअसल, राज्य के मौजूदा संविधान में उपराज्यपाल के पास पांच विधायकों को मनोनीत करने का अधिकार दिया गया है. पूरा बवाल इसी पांच विधायकों के मनोनय को लेकर पैदा हो गया है. विधि विशेषज्ञों के भी इस बारे में अलग-अलग विचार हैं.
जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान हुए हैं. उपराज्यपाल द्वारा पांच सदस्यों को मनोनीत किये जाने पर विधानसभा सदस्यों की संख्या बढ़कर 95 हो जाएगी और सदन में बहुमत का आंकड़ा 48 होगा. अब एक जटिल प्रश्न उठता है कि क्या मनोनीत विधायक सदन में बहुमत तय करने में भूमिका निभाएंगे.
पांच सदस्यों को मनोनीत करने संबंधी उपराज्यपाल की शक्ति और मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना इसका प्रयोग किए जा सकने के बारे में पूछे जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एस एन ढींगरा ने कहा कि चुनाव परिणामों का इंतजार करना होगा और इस समय यह मुद्दा उठाना जल्दबाजी होगी. जज ढींगरा ने कहा, ‘‘हम वास्तविक परिणामों का इंतजार कर सकते हैं क्योंकि यह मुद्दा नतीजे पर निर्भर करता है.’’
केंद्र न करे हस्तक्षेप
इस मुद्दे पर, वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि केंद्र को केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि इस तरह की कार्रवाइयां (जनता द्वारा) चुनी गईं सरकारों के कामकाज को प्रभावित करती हैं. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें तत्कालीन उपराज्यपाल किरण बेदी द्वारा पुडुचेरी विधानसभा में तीन सदस्यों को मनोनीत करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019, जिसे 2023 में संशोधित किया गया था, इस मुद्दे पर ‘अस्पष्ट’ है कि मनोनीत विधायकों की सरकार गठन में भूमिका होगी या नहीं.
इस सवाल के जवाब में कि क्या जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल की पांच विधायकों को मनोनीत करने की शक्ति को मंत्रिपरिषद की सलाह से निर्देशित किया जाना चाहिए, वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि इसका जवाब शीर्ष अदालत ने पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश और संघ की अधीन होने के संदर्भ में दिया था.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक कश्मीर का सवाल है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के इस बयान को स्वीकार कर लिया है कि इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा, तो यह सवाल ही नहीं उठता है. यह माना गया कि किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करना अस्वीकार्य है और इसलिए जम्मू कश्मीर की तुलना पुडुचेरी से नहीं की जा सकती.’
पुडुचेरी पर फैसला बनेगा नजीर
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘वक्त आ गया है कि चुनी हुईं सरकारों के कामकाज में केंद्र द्वारा इस तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप को सदा के लिए समाप्त कर दिया जाए. हमने देखा है कि दिल्ली और पुडुचेरी में प्रशासन किस तरह ठप हो गया है, जिससे नागरिकों के अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं.’’
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 239ए का हवाला देते हुए, दुबे ने कहा कि अधिनियम में राज्य विधानसभा में पांच सदस्यों – दो महिलाएं, दो प्रवासी समुदाय से और एक पीओजेके (पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के) शरणार्थियों – को मनोनीत करने का प्रावधान है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह ‘सरकार गठन या अविश्वास प्रस्ताव’ के दौरान, मनोनीत सदस्यों के मताधिकार के मुद्दे पर ‘अस्पष्ट/चुप’ है.’’ उन्होंने कहा कि यह प्रावधान उस समय किया गया था जब केंद्र शासित प्रदेश में कोई विधानसभा नहीं थी.
पुडुचेरी मामले में 2018 के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह कहा गया था कि केंद्र सरकार को विधानसभा में सदस्यों को मनोनीत करने के लिए राज्य से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है और मनोनीत सदस्यों को निर्वाचित सदस्यों के समान वोट देने का अधिकार है. कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने जम्मू कश्मीर में सरकार गठन से पहले पांच सदस्यों को मनोनीत किये जाने का विरोध किया है. जम्मू कश्मीर विधानसभा, पुडुचेरी विधानसभा की तर्ज पर है जहां तीन मनोनीत सदस्य निर्वाचित विधायकों के समान कार्य करते हैं और उन्हें मतदान का भी अधिकार है.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 21:47 IST