Buxar
बक्सर : रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के साथ ही बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा बक्सर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली रामगढ़ विधानसभा सीट (203) के लिए उपचुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. बिहार की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले इस चुनाव को लेकर बक्सर के पत्रकारों ने लोकल 18 से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष चर्चा की.
दरअसल, बक्सर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली रामगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव इस बार बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रामगढ़ विधानसभा सीट विपक्षी दलों का मजबूत गढ़ रहा है. हालांकि, इस बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिस प्रकार हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है, उसने विपक्ष को चुनौती देने के लिए माहौल तैयार कर दिया है.
जातीय समीकरण और जन सुराज की भूमिका
स्थानीय पत्रकार उमेश पांडेय ने लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि रामगढ़ विधानसभा के जातीय समीकरण इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. यादव, रविदास और मुसलमान जैसी प्रमुख जातियां यहां के उम्मीदवारों की किस्मत तय करती रही हैं, लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ ने इन समीकरणों को बदलने की तैयारी कर ली है. जन सुराज का हस्तक्षेप चुनाव में न केवल भाजपा और विपक्ष के बीच टक्कर को रोचक बनाएगा, बल्कि जातीय समीकरणों को भी प्रभावित करेगा.
वहीं, उमेश पांडेय ने बताया कि प्रशांत किशोर की पार्टी, जो बिहार में तेजी से उभर रही है, इस बार के उपचुनाव में खास भूमिका निभा सकती है. इसका प्रभाव केवल रामगढ़ विधानसभा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी देखा जाएगा.
सुधाकर सिंह की प्रमुख भूमिका पर चर्चा
स्थानीय पत्रकार चंद्रकांत निराला ने रामगढ़ उपचुनाव में सुधाकर सिंह की भूमिका पर खास चर्चा की और लोकल 18 से बताया कि सुधाकर सिंह, जो हाल ही में लोकसभा चुनाव जीतकर सामने आए हैं, इस बार के उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. रामगढ़ विधानसभा में उनकी पार्टी की पकड़ मजबूत है और उन्होंने पिछले चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था.
वहीं, चंद्रकांत निराला ने कहा कि सुधाकर सिंह के नेतृत्व में उनकी पार्टी इस बार भी अपनी पकड़ बनाए रखने का प्रयास करेगी, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या विपक्ष इस सीट पर अपनी स्थिति को बनाए रखने में सफल होता है या भाजपा इस सीट को अपने पक्ष में कर लेती है.
जन सुराज और उम्मीदवार चयन पर सवाल
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र पांडेय ने जन सुराज की चुनावी रणनीति पर प्रकाश डालते हुए लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि इस पार्टी का जातीय समीकरण पर आधारित उम्मीदवार चयन महत्वपूर्ण हो सकता है. जन सुराज द्वारा किस जातीय समूह के आधार पर उम्मीदवार तय किए जाते हैं, इस पर सबकी नजरें हैं.
वहीं, पुष्पेंद्र पांडेय के अनुसार, बिहार के 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जन सुराज का हस्तक्षेप पारंपरिक दलों के समीकरणों को बदल सकता है. खासकर रामगढ़ जैसी सीट पर, जहां विपक्षी दल का मजबूत गढ़ है, जन सुराज का उम्मीदवार कुछ नया समीकरण पैदा कर सकता है.
उपचुनाव के परिणामों का भविष्य पर असर
बिहार के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के परिणाम न केवल स्थानीय राजनीति पर, बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी असर डाल सकते हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए यह चुनाव बेहद अहम हो गया है, क्योंकि इससे आगामी चुनावों की दिशा तय होगी.
रामगढ़ उपचुनाव में भाजपा और विपक्ष के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है, लेकिन जन सुराज जैसी नई पार्टी के हस्तक्षेप से यह चुनाव और भी पेचीदा हो गया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जातीय समीकरण और राजनीतिक रणनीतियों के बीच किसे विजय मिलती है.
रामगढ़ उपचुनाव बिहार की राजनीति का महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है, जहां भाजपा हरियाणा जैसी सफलता की उम्मीद कर रही है. वहीं, विपक्ष अपनी परंपरागत पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. जन सुराज का इस चुनाव में क्या योगदान रहेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है. इस बार का रामगढ़ उपचुनाव सभी प्रमुख दलों के लिए एक कठिन परीक्षा साबित होने वाला है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 14:14 IST