कांगड़ा: लंबे समय से चर्चाओं में रहने वाली डल झील के अब अच्छे दिन आने की उम्मीद है. पर्यटन नगरी मैक्लोडगंज के नड्डी स्थित डल झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार एवं कायाकल्प के लिए भारत के लेकमैन के नाम से विख्यात आनंद मल्लिगावड़ और प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक डॉ. रितेश आर्य के नाम को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वीकृति दे दी है. डल झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार को लेकर उन्होंने गत दिनों शिमला में जल शक्ति, पर्यटन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक की थी.
अधिकारियों से मौके की रिपोर्ट ली और उन्हें झील के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की धार्मिक आस्था और पर्यटन का केंद्र और छोटा मणिमहेश के नाम से विख्यात डल झील के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है. इसका जल्द पुनरुद्धार कार्य आरंभ किया जाएगा. इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी और उसके बाद तुरंत पुनरुद्धार का काम शुरू किया जाएगा.
करीब 31 लाख रुपये का खर्च
विभिन्न विभागों की ओर से वर्ष 2004-05 से अब तक समुद्र तल से 1,775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डल झील के पुनरुद्धार पर करीब 31 लाख रुपये खर्च किए हैं. अब विख्यात विशेषज्ञों की सेवाएं लेकर इसे गंभीरतापूर्वक पूरा किया जाएगा. आनंद मल्लिगावड़ बेहद कम लागत से प्रकृति के अनुकूल प्रभावी तकनीकों का स्वयं विकास करके कई झीलों का कायाकल्प कर चुके हैं. इसके अतिरिक्त अन्य पर्यावरणविदों का सहयोग साथ भी इस कार्य के लिए लिया जाएगा. इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय भी हर स्थिति पर नजर रख रहा है. वहीं प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों के संरक्षण लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. उन्होंने क्षेत्र की जनता को संदेश देते हुए कहा कि डल झील के वास्तविक सौंदर्य को जल्द निखारा जाएगा और लोगों की आस्था का यह केंद्र जल्द नए स्वरूप में दिखेगा.
क्या बोले एसडीएम संजीव भोट
धर्मशाला के एसडीएम संजीव भोट ने बताया कि विख्यात आनंद मल्लिगावड़ और प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक डॉ. रितेश आर्य के नाम को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्वीकृति दे दी है अब जल्द ही डल झील में हो रहे रिसाव को लेकर युद्धस्तर पर कार्य शुरू किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 18, 2024, 19:56 IST