'तेजस्वी जी को पहले पढ़ना चाहिए कि कितना आरक्षण हो', रिजर्वेशन पर पटना के युवा

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आरक्षण का दायरा बढ़े या नहीं, जनता की राय

पटना. बिहार में आरक्षण का मुद्दा हमेशा से दुधारू गाय की तरह रहा है. यहां राजनीतिक दल इसको लगातार भुनाते रहे हैं और इसके दम पर सरकारें भी बनाई हैं. अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को नए सिरे से उठाया है. दरअसल, इन दिनों बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस दौरान तेजस्वी यादव ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाने की डिमांड रखी है. उन्होंने 85-15 का नया फॉर्मूला दिया है.

इस पर पटना के युवाओं की क्या राय है यह जानने के लिए लोकल 18 की टीम बिहार पुलिस सिपाही भर्ती की फिजिकल की तैयारी कर रहे युवाओं के बीच पहुंची. फिजिकल की तैयारी कर रहे युवाओं ने तेजस्वी यादव को इतिहास और पॉलिटिकल साइंस पढ़ने की सलाह दे दी. कुछ युवाओं ने कहा कि 85 फीसदी की यह डिमांड युवाओं के हित में नहीं है. वहीं कई युवाओं ने यह भी कहा कि 85 फीसदी की यह डिमांड बिल्कुल सही है. जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए.

जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी
गांधी मैदान में फिजिकल की तैयारी कर रहे एक युवा मंटू केसरी ने कहा, ‘आरक्षण बहुत घटिया चीज है. इतिहास की किताब में प्राचीन काल में सिर्फ चार प्रकार की जाति होती थी. वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र और ब्राह्मण. पहले जाति कर्म आधारित था लेकिन अब जन्म आधारित हो गया है. उस समय बड़े जाति के लोग छोटे जाति का शोषण करते थे. जो लोग उस समय पिछड़े थे उनके उत्थान के लिए आरक्षण लाया गया. अब इतने समय से आरक्षण लागू है इसके बावजूद भी जो शूद्र है वो आज भी शूद्र ही है, वो ब्राह्मण कभी नहीं हो जायेगा. जो आरक्षण का लाभ ले रहा है वो चाहता है कि हमेशा उसको ऐसे ही लाभ मिलता रहे. मुझे लगता है यह बहुत गलत चीज है, इसको खत्म कर देना चाहिए’.

दिनेश ने इशारों में मंटू को जवाब देते बताया, ‘जिनको चार हजार वर्षों से आरक्षण मिला हुआ है उनको इन 75 वर्षों में ही मिर्ची लगने लगी’. 85 फीसदी वाले सवाल पर दिनेश ने कहा कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी होनी चाहिए.

आर्थिक स्थिति के अनुसार हो रिजर्वेशन
एक और युवा, अरविंद कुमार ने बताया कि आरक्षण की सीमा में बढ़ोतरी करने से फायदा भी है और नुकसान भी. उन्होंने आगे बताया कि एससी एसटी समुदाय के लोगों में अभी भी कई लोग पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. उनके लिए आरक्षण बहुत जरूरी है. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप मजबूत हो गए. इसके बावजूद भी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. वैसे लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. मेरा मानना है कि रिजर्वेशन आर्थिक स्थिति के अनुसार होना चाहिए.

पढ़ने वाले लोगों को होगा नुकसान
मनोज नाम के एक युवा ने बताया कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने से पढ़ने वाले युवाओं को नुकसान होगा जबकि कम मार्क्स लाकर भी कुछ लोग आगे बढ़ जाएंगे. ज्यादा मार्क्स वाले पीछे रह जाएंगे और कम वाले एग्जाम क्वालीफाई कर जाएंगे. एक और युवा ने कहा कि जिस तरह से 85 फीसदी रिजर्वेशन की बात हो रही है, इससे नुकसान ज्यादा है जबकि लाभ बेहद कम. 85 फीसदी सीट रिजर्व करना बाकियों के साथ अन्याय है.

जिनको आरक्षण नहीं वो क्या करेंगे
एक और युवा ने बताया कि जिनके पास आरक्षण है उनको तो रिजर्वेशन का दायरा बढ़ने से खूब फायदा होगा लेकिन जो रिजर्वेशन का लाभ नहीं लेते हैं उनका क्या होगा. मात्र 15 पर्सेंट की सीट पर बाकी लोग कैसे क्लाइफाई करेंगे. यह गलत है. इस तरह के प्रस्ताव से नुकसान ज्यादा होगा जबकि लाभ बेहद कम.

सुधार की जरूरत
रिजर्वेशन के दायरे को बढ़ाने के तेजस्वी के इस प्रस्ताव पर लोकल 18 से बातचीत में पटना के ज्यादातर युवाओं ने नकार दिया है. उनका कहना है कि इससे फायदा कम जबकि नुकसान ज्यादा होगा. इसके साथ ही युवाओं ने इसमें सुधार की नसीहत दे दी. उनका कहना है कि रिजर्वेशन जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए. इससे किसी खास जाति का नहीं बल्कि पूरे समाज का उत्थान होगा.

Tags: Bihar News, Local18, PATNA NEWS, Public Opinion, Tejashwi Yadav

FIRST PUBLISHED :

November 29, 2024, 06:00 IST

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