Diwali 2024 Lakshmi Poojan: त्योहारों के सीजन की शुरुआत हो चुकी है और नवरात्र व करवा चौथ के बाद सभी को 5 दिनों के महापर्व यानी दिवाली के त्योहार का इंतजार है. हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. इस विशेष दिन पर धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है. दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है, लेकिन क्या लक्ष्मी पूजन के दौरान माता लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए? वैसे तो लोग पूरे परिवार के साथ इस पूजन को करते हैं और पूजा विधि में अक्सर आखिर में देवी-देवताओं की आरती गाई जाती है. लेकिन लक्ष्मी पूजन पर माता लक्ष्मी की आरती को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. जानिए दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिष डॉक्टर गौरव कुमार दीक्षित से इसके बारे में.
डॉक्टर गौरव कुमार दीक्षित बताते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी मां की आरती नहीं की जाती है. दिवाली के पूजन के दौरान आपको सिर्फ गणेश जी की और भगवान विष्णु जी की आरती ही करें. क्योंकि लक्ष्मी जी की आरती करने पर सभी लोग आरती पर खड़े हो जाते हैं और उसके बाद चले जाते हैं, वैसे ही अगर लक्ष्मी मां चली जाएगी तो आपके जीवन में धान की कमी आ जाएगी. इसलिए दिवाली के पूजन में कभी भी लक्ष्मी मां की आरती नहीं गानी चाहिए. बल्कि इस दिन लक्ष्मी माता का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. आप चाहें तो माता लक्ष्मी का मंत्र गा सकते हैं. इसके साथ ही आपको पूजा के दौरान साबुत सुपारी पर मौली (कलावा) लपेट कर उसे पूजा में रखना चाहिए. पूजा के बाद इसी सुपारी को लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें. ये माता लक्ष्मी का ही स्वरूप होती है. साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा में साबुत धनिया जरूर रखना चाहिए.
क्या है दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की सही विधि
1. ईशान कोण या उत्तर दिशा में साफ-सफाई करके स्वास्तिक बनाएं. उसके ऊपर चावल की ढेरी रखें. अब उसके ऊपर लकड़ी का पाट बिछाएं. पाट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें. इस तस्वीर में गणेशजी और कुबेर की तस्वीर भी हो. माता के दाएं और बाएं सफेद हाथी के चित्र भी होना चाहिए.
2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें. सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है. इसके बाद धूप-दीप जलाएं. सभी मूर्ति और तस्वीरों को जल छिड़ककर पवित्र करें.
3. अब खुद कुश (घांस) के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें. षोडशोपचार पूजा का अर्थ है, 16 क्रियाओं से पूजा करना. पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए.
4. माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए. इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें.
यदि हम छोटी पूजा करना चाहते हैं तो पंचोपचार पूजन विधि का पालन कर सकते हैं. जबकि लक्ष्मी माता की विस्तृत पूजा की इच्छा है तो उसके लिए षोडशोपचार पूजन विधि का पालन करें.
डॉक्टर गौरव कुमार दीक्षित बताते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी मां की आरती नहीं की जाती है.
दिवाली पर करें माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजन विधि
1. देवता को गंध (चंदन) लगाना तथा हलदी-कुमकुम चढ़ाना
सबसे पहले अपने आराध्य को अनामिका से (कनिष्ठिका के समीप की उंगली से) चंदन लगाएं. फिर दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका के बीच चुटकीभर कर पहले हलदी, फिर कुमकुम देवता के चरणों में अर्पित करें.
2. देवता को पत्र-पुष्प (पल्लव) चढ़ाना
देवता को कागज, प्लास्टिक आदि के कृत्रिम और सजावटी फूल न चढ़ाएं. ताजे और सात्विक पुष्प चढ़ाएं. देवता को चढ़ाए जानेवाले पत्र-पुष्प न सूंघें. देवता को पुष्प चढ़ाने से पूर्व पत्र चढ़ाएं. विशिष्ट देवता को उनका तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने वाले विशिष्ट पत्र-पुष्प चढ़ाएं, उदाहरण के लिए शिवजी को बिल्वपत्र तथा श्री गणेशजी को दूर्वा और लाल पुष्प. पुष्प देवता के सिर पर न चढ़ाकर उनके चरणों में अर्पित करें. डंठल देवता की ओर एवं पंखुड़ियां (पुष्पदल) अपनी ओर कर पुष्प अर्पित करें.
3. देवता को धूप दिखाना
देवता को धूप दिखाते समय उसे हाथ से न फैलाएं. धूप दिखाने के बाद विशिष्ट देवता का तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने हेतु विशिष्ट सुगंध की अगरबत्तियों से उनकी आरती उतारें, उदाहरण के लिए शिवजी को हीना से तथा श्री लक्ष्मीदेवी की गुलाब से. धूप दिखाते समय तथा अगरबत्ती घुमाते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं.
4. देवता की दीप-आरती करना
दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें. दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं.
5. प्रसाद या नैवेद्य चढ़ाएं
पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य चढ़ाएं. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है. प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है. इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना, सिंघाड़ा, बताशे, ईख, हलवा, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग के मिष्ठान, केसर-भात आदि अर्पित किए जाते हैं. पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजियां, पपड़ियां, अनरसा, लड्डू, पुलहरा चढ़ाया जाता है. इसके बाद चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेहूं, नारियल, धनिया अर्पित करते हैं. अंत में केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग अर्पित करते हैं.
इस साल 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा.
ये है माता लक्ष्मी का मंत्र
पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम: धनप्रदायै नमो नम: विश्वजनन्यै नमो नम:
पूजा में दिशा का रखें ध्यान:
पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर का उत्तर-पूर्व कोना पूजा स्थल बनाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है. पूजा स्थल साफ-सुथरा, अच्छी तरह से रोशनी वाला और अव्यवस्था से मुक्त होना चाहिए. दीपक का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए. पूजा कलश और अन्य पूजन सामग्री जैसे खील-पताशा, सिंदूर, गंगाजल, अक्षत-रोली, मोली, फल-मिठाई, पान-सुपारी, इलाइची आदि उत्तर-पूर्व में ही रखना शुभ होता है. पूजा कक्ष के दरवाज़े पर सिंदूर या रोली से दोनों तरफ़ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, शंख ध्वनि और घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 18, 2024, 17:56 IST