शादी विवाह में सप्तपदी रस्म के बिना अधूरी मानी जाती है विवाह.
देवघर. हिंदू धर्म में शादी विवाह शुभ तिथि मुहूर्त देखकर ही तय की जाती है. ताकि वैवाहिक जीवन सुखमय रहे. हिंदू धर्म में शादी विवाह का बहुत ही खास महत्व होता है. शादी विवाह में ना की दो लोग बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है इसके साथ ही शादी विवाह में कई तरह के रष्म रीति-रिवाज निभाई जाती है.उनमे से एक रसम ऐसा है जिसके बिना शादी अधूरी मानी जाती है.कौन सा है रष्म,जिसके बाद ही वर वधु पति पत्नी कहलाते है जानते है देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य ?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि शादी विवाह के दौरान अलग अलग जगहों पर अलग अलग रीति रिवाज वा परंपरा निभाई जाती है.वही एक ऐसा रष्म है जिसके बिना शादी अधूरी मानी जाती है. वह है सप्तपदी रष्म.इस रष्म मे दूल्हा दुल्हन साथ मे अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते है और दोनों एक दूसरे को वचन देते है हर एक फेरे मे एक वचन देते है और मन्त्र भी बोला जाता है. इस रष्म के बाद ही दूल्हा दुल्हन पति पत्नी कहलाती है.
कौन सा है वह सात वचन ?
सप्तपदी रष्म मे दूल्हा दुल्हन एक डोर मे बंध कर सात फेरे लेते है. दुल्हन दूल्हे से सात वचन मांगती है. हर एक फेरे मे मन्त्र के साथ दुल्हन एक वचन मांगती है पहला वचन अन्न के लिए, दूसरा वचन बल के लिए, तीसरा वचन धन के लिए, चौथा वचन सुख के लिए, पांचवा वचन परिवार के लिए, छठा वचन ऋतुचार्य के लिए, सातवां वचन मित्रता के लिए. इस रष्म के बाद ही दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बनते है.
सप्तपदी रष्म के बाद ही पत्नी बनती है वमांगी ?
शादी के दौरान दूल्हे के दाएं और दुल्हन बैठती है लेकिन जैसे ही सप्तपदी रष्म होती है. दूल्हे के बाई और दुल्हन बैठती है.इस प्रश्न के बाद दुल्हन पत्नी बन जाती है और पत्नी को वह वमांगी भी कहते हैं. वमांगी का अर्थ होता है बाये अंग का अधिकारी. पति के बाएं अधिकारी पत्नी होती है. इसलिए कोई भी मांगलिक कार्य पत्नी को हमेशा पति के भाई और ही बैठना चाहिए.माना जाता है कि भगवान शिव के बाएं अंग से ही शक्ति की उत्पत्ति हुई थी.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 13:54 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.