बालाघाट. धान को बालाघाट जिले की मुख्य फसल माना जाता है. अब धान की फसल पककर तैयार हो चुकी है, लेकिन जब धान की फसल तैयार होती है. तब दो कीटों के प्रकोप का खतरा बना रहता है. ऐसे में किसान भाइयों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर सकता है.अगर कीट लगने की शुरुआती अवस्था में ही रोकथाम के उपाय किए जाए, तो फसल बच सकती है. जानिए कृषि विशेषज्ञ आशीष बोरकर ने कीटों से बचाव के लिए क्या उपाय बताएं.
ये दो कीट फसल पर करते है आक्रमण
धान की फसल के पकने के समय फौजी कीट यानी आर्मी वर्म और एफीड यानी माहू सक्रिय रहता है. ये दोनों कीट फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये कीट फसल की कटाई ठीक पहले लगते है और फसल बर्बाद करने की क्षमता रखते हैं.
फौजी कीट – इसका लार्वा ऊतकों की सतहों को खाते हैं. बड़े लार्वा पत्तियों पर छेद कर करते है. इसके लार्वा के कारण पत्तियां झड़ने लगती है.
शाम के समय कीट रहते है एक्टिव
फौजी कीट शाम के समय एक्टिव रहते हैं, जो रात भर में फसल को तबाह कर सकते हैं. वहीं, दिन में ये कीट जमीन की दरारों में या मेढ़ के पास छिप जाते है. जब फौजी कीट की भूख बढ़ जाती है, तब वह विकराल रूप धारण कर लेता है. और फसल पर दिन में आक्रमण करता है.
ऐसे करें बचाव
बचाव इस कीट से बचने के लिए शाम के समय 750 ग्राम फेनीट्रोथीओन या ट्राइक्लोरोफोन प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इसे 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़कना चाहिए.
माहू – यह तने से पौधों के रस को चुसता है, जिससे पौधों को पोषण नहीं मिलता. ऐसे में फसल की वृद्धि और उत्पादन प्रभावित होता है. माहू के संक्रमण की शुरूआत में गोल पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं.
माहू से ऐसे बचाएं फसल को
इससे बचने के लिए फेनबुकार्व 50 EC 300 मिली और आईसोप्रोथियोलेन को 200 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़कना चाहिए.
Tags: Madhya pradesh news
FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 14:48 IST