Last Updated:January 31, 2025, 17:33 IST
Ramras Ke Kahani: रामरस नाम नमक के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है. यह नाम हमें याद दिलाता है कि भोजन न केवल हमारे शरीर के लिए, बल्कि हमारी आत्मा के लिए भी महत्वपूर्ण है.
हाइलाइट्स
- नमक को 'रामरस' नाम भगवान राम की श्रद्धा से मिला.
- राम के आंसुओं ने भोजन को दिव्य बना दिया.
- नमक हमारे शरीर के लिए आवश्यक है.
Ramras Ke Kahani: भारतीय संस्कृति में खाद्य पदार्थों का न केवल हमारे स्वास्थ्य से बल्कि हमारी भावनाओं और आध्यात्मिकता से भी गहरा संबंध है. यही कारण है कि हमारी परंपराओं में कई खाद्य पदार्थों को विशेष नाम और महत्व दिया गया है. इनमें से एक है नमक जिसे ‘रामरस’ के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं इस दिव्य नाम के पीछे की कहानी.
एक भूखे यात्री की कहानी
बात त्रेतायुग की है जब भगवान राम अयोध्या में राज्य करते थे. एक समय की बात है एक गरीब और थका हुआ यात्री राम की नगरी में आया. वह कई दिनों से भूखा था इसलिए उसकी हालत बहुत खराब थी. अयोध्या के लोगों ने उसे भोजन देने की कोशिश की लेकिन उसने किसी का भी भोजन स्वीकार नहीं किया. जब भगवान राम को इस बात का पता चला तो वे खुद उस यात्री के पास भोजन लेकर गए. उन्होंने उस यात्री को बड़े प्रेम से भोजन परोसा. यात्री ने एक निवाला खाया और उसकी आंखों में आंसू आ गए.
राम के आंसुओं का स्वाद
भगवान राम ने यात्री से पूछा कि उसने भोजन क्यों नहीं खाया. यात्री ने बताया कि वह 100 योजन (लगभग 1200 किलोमीटर) दूर से राम के दर्शन करने आया था. उसने यह भी बताया कि उसे भोजन में कोई स्वाद नहीं लग रहा था. यह सुनकर भगवान राम की आंखों में भी आंसू आ गए. उनके आंसू भोजन में गिर गए. जब यात्री ने वह भोजन खाया तो उसे उसमें एक अद्भुत स्वाद महसूस हुआ. उसने भगवान राम को बताया कि उनके आंसुओं ने भोजन को दिव्य बना दिया है.
रामरस का नाम
उस दिन से नमक को ‘रामरस’ कहा जाने लगा. रामरस का अर्थ है ‘राम का रस’. यह नाम नमक के महत्व को दर्शाता है. नमक न केवल हमारे भोजन को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि यह हमारे शरीर के लिए भी बहुत जरूरी है.
नमक का महत्व
नमक में सोडियम होता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक है. यह हमारे शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है और मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को सही ढंग से काम करने में मदद करता है. नमक हमारे पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है.
First Published :
January 31, 2025, 17:33 IST