नौकरी छोड़ शुरू किया बिजनेस, अब सामान बेचकर कमा रहे 8 लाख रुपये

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सांगली: कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण ने क्रांति ला दी है, लेकिन हाथ के औजारों का महत्व अब भी बरकरार है. इन औजारों में आधुनिकता का समावेश हो चुका है, जो मेहनत और समय दोनों की बचत करते हैं. बदलती कृषि पद्धतियों के साथ औजारों का बाजार भी बदला है. इसी बदलाव में रमेश लोहार जैसे लोगों ने अपनी काबिलियत से खास पहचान बनाई है. रमेश ने सांगली जिले के इस्लामपुर इलाके में 30 से 35 प्रकार के औजार बनाकर किसानों की मदद की और लाखों की कमाई का जरिया भी तैयार किया.

साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफर की शुरुआत
रमेश लोहार इस्लामपुर के पास हुबलवाड़ी गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता बढ़ई थे और लकड़ी से कृषि उपकरण बनाते थे. रमेश ने अपने पिता से यह हुनर सीखा, लेकिन आगे चलकर उन्होंने इस क्षेत्र में कुछ नया करने की ठानी. आईटीआई से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पुणे की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की. सात साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने गांव लौटने और खुद का व्यवसाय शुरू करने का साहसिक फैसला लिया.

लकड़ी से लोहे के औजारों तक का सफर
गांव लौटने के बाद रमेश ने अपने पिता के साथ लकड़ी के उपकरण बनाने का काम शुरू किया. आईटीआई की तकनीकी शिक्षा ने उन्हें नए प्रयोग करने की प्रेरणा दी. उन्होंने देखा कि कृषि में लोहे के उपकरणों की मांग बढ़ रही है. उन्होंने लकड़ी के बजाय लोहे के औजारों पर काम शुरू किया. उनके द्वारा बनाए गए कुदाल, वीडर और आधुनिक टिलर जैसे औजार किसानों के लिए उपयोगी साबित हुए.

किसानों की जरूरत को समझते हुए नवाचार
रमेश ने कृषि प्रदर्शनियों में जाकर नए-नए उपकरणों की जानकारी हासिल की और उन्हें बेहतर बनाने के लिए प्रयोग शुरू किए. उन्होंने औजारों को खुद खेत में इस्तेमाल कर देखा और किसानों को उनका प्रदर्शन भी दिखाया. कम मेहनत और मध्यम लागत वाले इन औजारों को किसानों से शानदार प्रतिक्रिया मिली.

आधुनिक उपकरणों से मिली नई पहचान
आज रमेश लोहार करीब 35 प्रकार के कृषि उपकरण बनाते हैं. सांगली, कराड और कोल्हापुर से कच्चा माल लाकर, वे अपने दो प्रशिक्षित श्रमिकों की मदद से उपकरण तैयार करते हैं. इस्लामपुर-कोल्हापुर रोड पर उनके औजारों की दुकान किसानों के बीच खासा लोकप्रिय है.

सालाना लाखों की कमाई और किसानों का भरोसा
रमेश के बनाए उपकरण बदलती कृषि पद्धतियों और फसल प्रणालियों के अनुकूल हैं. किसानों को कम मेहनत में अधिक लाभ देने वाले इन औजारों ने रमेश को सालाना 8 से 10 लाख रुपये का कारोबार दिलाया. उन्होंने कहा कि कृषि उपकरणों के बाजार में नवाचार की अहमियत को समझते हुए वे लगातार नए प्रयोग कर रहे हैं.

Tags: Local18, Special Project, Success Story

FIRST PUBLISHED :

November 27, 2024, 22:20 IST

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