पारंपरिक खेती से थे निराश.. दामाद ने बताया ये फार्मूला; अब होगा चौगुना मुनाफा!

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:February 06, 2025, 22:30 IST

औषधीय फसलों की तरफ थोड़ा थोड़ा करके डायवर्ट हो रहे है, ऐसे ही रहली विकासखंड के कैलवास गांव में किसान के द्वारा अश्वगंधा की खेती शुरू की गई है, उनका कहना है कि गेहूं चना मसूर की अपेक्षा इसमें तीन से चार गुना फाय...और पढ़ें

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अश्व

अश्व गंधा 

हाइलाइट्स

  • किसान ने अश्वगंधा की खेती शुरू की।
  • अश्वगंधा से गेहूं, चना, मसूर से चार गुना मुनाफे की उम्मीद।
  • दामाद की सलाह से किसान ने औषधीय फसल की खेती शुरू की।

सागर. खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सागर जिले में किसानों के द्वारा लगातार प्रयोग देखने को मिल रहे हैं. अब पारंपरिक खेती के साथ औषधीय फसलों की तरफ थोड़ा-थोड़ा करके किसान भाई डायवर्ट हो रहे हैं. ऐसे ही रहली विकासखंड के कैलवास गांव में किसान के द्वारा अश्वगंधा की खेती शुरू की गई है. उनका कहना है कि गेहूं, चना, मसूर की अपेक्षा इसमें तीन से चार गुना फायदा होने की उम्मीद है.

पिछले साल उन्होंने मात्र 30 डेसिमल जगह में अश्वगंधा का उत्पादन किया था, जिसमें उन्हें 35 हजार का मुनाफा हुआ. इस साल एक एकड़ जगह में अश्वगंधा की बुवाई की है, और फसल भी अच्छी है. उन्होंने बताया कि हमारे साथ अब आसपास के और भी किसान छोटी-छोटी जगह में इस पर हाथ आजमा रहे हैं.

पारंपरिक खेती से इतर ने बनाया मालामाल
युवा किसान निलेश कुर्मी बताते हैं, कि बाप दादाओ के समय से ही गेहूं, चना ,मसूर ,मटर की खेती करते आ रहे हैं. जिसमें जैसे-तैसे करके घर खर्च ही चल पाता है. लेकिन कुछ साल पहले मैंने लहसुन की खेती शुरू की थी. जिसमें अच्छा भाव मिलने से दूसरी फसलों का उत्पादन करने की हिम्मत मिली. अगर एक एकड़ में गेहूं की खेती करें तो उसमें अधिकतम 50,000 का ही गेहूं निकल पाता है. लेकिन अश्वगंधा की खेती में एक एकड़ में तीन चार गुना अधिक दाम मिलने की उम्मीद है.

दामाद की सलाह से शुरू की खेती
अश्वगंधा की खेती के लिए उनके दामाद ने पिछले साल सलाह दी थी. तब वे नीमच जाकर बीज लेकर आए थे, और फिर कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों से सलाह लेकर बुवाई की थीं. फिर समय-समय पर सलाह लेकर ध्यान देते रहे, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा मिला हैं. निलेश का कहना है कि अगर किसान खेती से आमदनी करना चाहते हैं, तो उन्हें थोड़ा-थोड़ा करके पारंपरिक फसलों को छोड़कर दूसरी चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर उसमें सफलता मिलती है, तो धीरे-धीरे उसका रकवा बढ़ाते जाएं.

अश्वगंधा का उपयोग
अश्वगंधा औषधि फसल है जिससे कई तरह की दवाइयां तैयार की जाती हैं, फिलहाल इसे बेचने के लिए किसानों को नीमच या मंदसौर मंडी ही ले जाना पड़ता है. इस फसल के जड़ में पाउडर निकलता है. तो इस खेत से सीधा निकाल कर उसकी जड़ को तोड़कर ग्रेडिंग कर मंडी ले जाना पड़ता है.

Location :

Sagar,Madhya Pradesh

First Published :

February 06, 2025, 22:30 IST

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