Agency:News18 Haryana
Last Updated:February 11, 2025, 23:11 IST
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में इस बार पुरानी विरासत की झलक देखने को मिल रही है. ऐतिहासिक औजार, पारंपरिक बर्तन और प्राचीन मशीनें यहां प्रदर्शित की गई हैं, जो बीते समय की जीवनशैली को दर्शाती हैं. यह स्टॉल पुरानी...और पढ़ें
सूरजकुंड मेले में इतिहास की झलक, विरासत जीवंत.
हाइलाइट्स
- सूरजकुंड मेले में प्राचीन औजार, बर्तन और पारंपरिक मशीनों की प्रदर्शनी लगी है.
- यह स्टॉल बीते समय की जीवनशैली और पुरानी सभ्यता को दर्शाता है.
- इतिहास और परंपरागत तकनीकों में रुचि रखने वालों के लिए खास आकर्षण है.
फरीदाबाद: फरीदाबाद के सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में हर साल अलग-अलग कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. इस बार मेले में एक अनोखी स्टॉल लगाई गई है, जहां प्राचीन सभ्यता से जुड़ी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं. यह स्टॉल इतिहास और पुरानी विरासत में रुचि रखने वालों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है. यहां सैकड़ों साल पुराने औजार, बर्तन और जीवनशैली से जुड़ी वस्तुएं देखने को मिलेंगी, जो हमारे पूर्वजों के रहन-सहन और संस्कृति की झलक पेश करती हैं.
स्टॉल पर काम करने वाले नरेश कुमार ने Local18 को बताया कि पुराने जमाने में तांबे के बर्तन ज्यादा इस्तेमाल होते थे लेकिन समय के साथ ये बदलकर सिल्वर और स्टील के बर्तनों में बदल गए. यहां एक खास बर्तन रखा है जिसका नाम टोकनी है। इसी तरह पुराने समय में कुएं से पानी निकालने के लिए डोल का इस्तेमाल किया जाता था जिसे यहां देखने का मौका मिलेगा.
मेले में ऐतिहासिक चरखा और छाछ निकालने की मशीन
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में इस बार प्राचीन विरासत की अनूठी झलक देखने को मिल रही है. यहां एक विशेष स्टॉल लगाया गया है, जहां सौ साल पुरानी छाछ निकालने की मशीन प्रदर्शित की गई है. यह मशीन उस दौर में दूध से मक्खन और छाछ निकालने के लिए उपयोग की जाती थी.
इसके अलावा, स्टॉल पर पुराना चरखा भी रखा गया है, जिससे सूत कातकर कपड़े बनाए जाते थे. चरखा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जिसे महात्मा गांधी ने आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बताया था. यह प्रदर्शनी इतिहास प्रेमियों और परंपरागत तकनीकों को जानने के इच्छुक लोगों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है.
300 साल पुराना तेल का कुप्पा
यहां एक डेकली भी देखने को मिलेगी जिससे ऊंटों की मदद से पानी निकाला जाता था. रेगिस्तानी इलाकों में जब हैंडपंप और मशीनें नहीं थीं तब इसी डेकली का इस्तेमाल कर पानी खींचा जाता था. स्टॉल पर 300 साल पुराना तेल का कुप्पा भी रखा गया है जिसे देखकर लोग अचरज में पड़ जाते हैं.
सबसे अनोखी चीज़ों में से एक है करीब 60 साल पुरानी रस्सी बनाने की मशीन. पहले रस्सियां हाथ से बनाई जाती थीं लेकिन इस मशीन से आसानी से रस्सी तैयार की जाती थी. यह देखकर आज की पीढ़ी को समझ में आता है कि पुराने समय में लोग बिना आधुनिक मशीनों के भी किस तरह से काम करते थे.
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में इस तरह की ऐतिहासिक चीजें देखना एक अनोखा अनुभव है. यह स्टॉल हमारी संस्कृति, परंपराओं और पुराने समय के रहन-सहन को समझने का एक बेहतरीन जरिया है. अगर आप मेले में जा रहे हैं तो इस स्टॉल पर जरूर जाएं.
Location :
Faridabad,Haryana
First Published :
February 11, 2025, 23:11 IST