Last Updated:January 27, 2025, 09:54 IST
How Declining Male Fertility: पिछले 50 सालों में पुरुषों में स्पर्म काउंट बहुत घटा है जिसके कारण कुछ पुरुषों में बांझपन भी बढ़ा है. वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में इसके कारणों को बताया है.
How Declining Male Fertility: इन दिनों आईवीएफ से प्रेग्नेंसी के मामले बहुत बढ़े हैं. इसके कई कारण हैं लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि प्रेग्नेंसी में दिक्कत के लिए 30 प्रतिशत मामलों में पुरुष किसी न किसी तरह से जिम्मेदार होते हैं. या तो उनका स्पर्म कम बनता है या स्पर्म की गुणवत्ता बेहतर नहीं होती है जिनके कारण प्रेग्नेंसी में दिक्कतें सामने आती है. बहरहाल एक रिसर्च में इस बात को सच साबित किया गया है. एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि पिछले 50 सालों के दौरान पुरुषों की प्रजनन क्षमता में जबर्दस्त गिरावट आई है. इसके कई कारण हो सकते हैं. पहाड़ों पर ट्रैकिंग, स्लीप एपनिया, वेरिसोसेल जैसी बीमारियां इसके सबसे प्रबल कारण हो सकते हैं. इन सभी स्थितियों में पुरुषों के टेस्टिस यानी अंडकोष तक ऑक्सीजन कम पहुंचता है जिसके कारण टेस्टिकुलर हाइपॉक्सिया हो जाता है.
कम ऑक्सीजन पहुंचना ही बीमारी की वजह
नेचर रिव्यूज यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि टेस्टिस तक कम ऑक्सीजन पहुंचना स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता को प्रभावित करती है. इससे पुरुषों में बांझपन की समस्या बढ़ सकती है. अगर कोई वयस्क पुरुष 12 महीनों तक लगातार बिना किसी अवरोधक (कंडोम, गर्भनिरोधक गोली या इंजेक्शन) के यौन संबंध बना रहा है और महिला के प्रजनन स्वास्थ्य में कोई खराबी नहीं है तो इसका मतलब है पुरुष बांझपन का शिकार हो गया है. वहीं प्रेग्नेंट करने की क्षमता कम हो गई है तो यह सब-फर्टिलिटी की स्थिति है. ऑस्ट्रेलिया में न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में प्रजनन स्वास्थ्य की प्रोफेसर और इस अध्ययन की प्रमुख लेखक टेसा लॉर्ड कहती हैं कि टेस्टिस हाइपोक्सिया या अंडकोष में ऑक्सीजन की कमी पुरुषों में फर्टिलिटी कम होने की सबसे प्रमुख वजह है. इसके अलावा पुरानी स्थितियों जैसे कि स्लीप एपनिया और वेरिकोसील की बीमारी भी पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए एक निरंतर खतरा हो सकता है.
वेरिकोसील से भी खतरा
वेरिकोसील ऐसी बीमारी है जिसमें अंडकोष के अंदर शिराएं फूलकर मोटी हो जाती है. जो पुरुष बच्चा पैदा करने में असमर्थ हो रहे हैं उनमें से 45 प्रतिशत पुरुषों के वेरिकोसील की ही परेशानी होती है.वेरिकोसील में शिराओं के चारों ओर सूजन हो जाने से शिराएं संकरी हो जाती है जिसके कारण ऑक्सीजन टेस्टिस तक नहीं पहुंचती. इस कारण स्पर्म कमजोर होने लगते हैं. टेस्टिस हाइपॉक्सिया का तीसरा बड़ा कारण है स्लिप एपनिया जिसमें गले की मांसपेशियां नींद के दौरान वायुमार्ग को संकुचित कर देती हैं. इससे खून में ऑक्सीजन कम पहुंचती है और कारण टेस्टिस में भी ऑक्सीजन कम पहुंचती है. इस तरह टेस्टिकुलर हाइपॉक्सिया का कारण बनती है. मौजूदा अध्ययन से यह पता चलता है कि टेस्टिस हाइपोक्सिया शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. यह हार्मोन उत्पादन और जीन की सक्रियता को बाधित करता है.
ऊंचाई पर ऑक्सीजन की समस्या
स्वभाविक रूप से ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन मिलता है. इसलिए जो लोग पहाड़ों पर ट्रैकिंग करते है, उनमें ऑक्सीजन लेवल कम होने से टेस्टिस में ऑक्सीजन की कमी होती है. अध्ययन में कहा गया है कि बेशक इसका प्रजनन क्षमता पर असर थोड़े समय के लिए होता है लेकिन थोड़े समय के लिए ही टेस्टिकुलर हाइपोक्सिया शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता पर असर डाल सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि टेस्टिस हाइपोक्सिया के कारण पिछले कुछ दशक में पुरुषों की इंफर्टिलिटी को बढ़ाया है. इसमें यह भी पाया गया कि अगर पिता बांझपन का शिकार हुआ है तो उसके होने वाले बच्चे भी इस समस्या से दो चार हो सकते हैं.
First Published :
January 27, 2025, 09:54 IST