बंपर उत्पादन के लिए DAP की जगह इस खाद का करें इस्तेमाल, लागत भी कम

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गेंहू 

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अनुज गौतम, सागर: रवि सीजन की बुवाई के समय जब किसानों को उर्वरक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब सागर जिले में डीएपी खाद की भारी कमी ने किसानों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. जिले के कई हिस्सों में सहकारी समितियों और खाद वितरण केंद्रों पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण किसान खाद की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. कई स्थानों पर खाद लेने के लिए लंबी कतारें लग रही हैं, और किसान घंटों तक लाइन में खड़े रहने को मजबूर हो रहे हैं. कुछ जगहों पर किसानों को रात भर जागकर इंतजार करना पड़ रहा है. इस संकट के बीच, सरकार ने डीएपी खाद के विकल्प के रूप में एनपीके ग्रोमोर और नैनो यूरिया जैसे उत्पाद उपलब्ध कराए हैं, लेकिन किसान इनके उपयोग को लेकर असमंजस में हैं.

डीएपी के स्थान पर एनपीके ग्रोमोर: किसानों के लिए नया विकल्प
सागर जिले के कृषि विस्तार अधिकारी जितेंद्र राजपूत ने जानकारी दी कि वर्तमान में डीएपी खाद की कमी को देखते हुए सरकार ने एनपीके ग्रोमोर और सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराया है. यह उर्वरक डीएपी की तरह ही काम करता है और किसानों की फसलों के लिए उतना ही प्रभावी है. एक बोरी एनपीके ग्रोमोर का उपयोग एक एकड़ भूमि के लिए किया जा सकता है, जिससे किसानों को अच्छी उपज मिलने की संभावना है. इसके अलावा, यूरिया की कमी को देखते हुए नैनो यूरिया का उपयोग भी किसानों के लिए एक नया और सस्ता विकल्प बन रहा है.

नैनो यूरिया: कम खर्च में ज्यादा लाभ
यूरिया की जगह नैनो यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक यूरिया के छिड़काव से केवल 20% उर्वरक पौधों तक पहुंचता है, जबकि बाकी 80% बर्बाद हो जाता है और मिट्टी को नुकसान पहुंचाता है. वहीं, नैनो यूरिया के छिड़काव से पौधों की पत्तियां उर्वरक को पूरी तरह से अवशोषित कर लेती हैं, जिससे फसल को पूरा पोषण मिलता है. आधा लीटर की नैनो यूरिया की बोतल से एक एकड़ भूमि में छिड़काव किया जा सकता है, और यह सामान्य यूरिया की तुलना में आधी कीमत पर आता है.

नैनो यूरिया और एनपीके ग्रोमोर का इस्तेमाल कैसे करें
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार, फसल की बुवाई या रोपाई से पहले नैनो डीएपी से बीज उपचार करना जरूरी है. उदाहरण के लिए, गेहूं की फसल के लिए 1 किलो बीज को 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी से उपचारित करें. आलू की फसल के लिए, 15 लीटर पानी में 75 मिलीलीटर नैनो डीएपी मिलाकर बीज का शोधन करें.

इसके अलावा, नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का छिड़काव फसल की बुवाई के 30-35 दिन बाद और रोपाई के 20-25 दिन बाद किया जाना चाहिए. 4 मिलीलीटर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को 1 लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें. जब बालियां या फूल आने लगें, तो नैनो प्लस यूरिया का छिड़काव जरूर करें. इससे फसलों को भरपूर पोषण मिलेगा और उपज में सुधार होगा.

किसानों में संशय, लेकिन फायदेमंद साबित हो रहे हैं विकल्प
सागर जिले के कई किसानों को पहली बार इन नए उर्वरकों का उपयोग करने में संदेह है. कुछ किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या नैनो यूरिया और एनपीके ग्रोमोर वास्तव में डीएपी और यूरिया की जगह ले सकते हैं. हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ये उर्वरक उतने ही प्रभावी हैं और सही उपयोग से अच्छी उपज दे सकते हैं.

Tags: Agriculture, Farmer Income Doubled, Farmer story, Local18, Sagar news

FIRST PUBLISHED :

October 18, 2024, 13:41 IST

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