अपनी नियुक्ति पत्र के साथ दिव्या
सच्चिदानंद/ पटना: समस्तीपुर की रहने वाली दिव्या कुमारी की कहानी सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखने वालों के लिए एक मिसाल है. दिव्या ने अपनी कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और अपनी बहन के अद्वितीय त्याग के दम पर दरोगा बनने का सपना पूरा किया.
बहन का अटूट समर्पण
दिव्या की सफलता के पीछे उनकी बहन खुशबू का महत्वपूर्ण योगदान है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद, खुशबू ने खुद नौकरी करने का फैसला किया ताकि दिव्या की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. खुशबू ने घर के कामकाज से भी दिव्या को मुक्त रखा ताकि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सके. यह बहन का समर्पण और प्यार ही था जिसने दिव्या को इस मुकाम तक पहुंचाया.
सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन क्लासेज का योगदान
दिव्या ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई अपने गांव के स्कूल से पूरी की और स्नातक की पढ़ाई भी स्थानीय कॉलेज से की. दरोगा की परीक्षा के लिए उन्होंने कोई कोचिंग ज्वाइन नहीं की. अपनी तैयारी के लिए उन्होंने केवल खान सर की ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया. खान सर की क्लासेज ने कठिन विषयों को समझने में उनकी मदद की, जिससे उनकी तैयारी में बड़ा योगदान मिला.
कठिनाइयों से नहीं घबराई, बनीं दरोगा
दिव्या ने घर के एक छोटे से कमरे में बैठकर अपनी तैयारी जारी रखी. इस दौरान उनकी बहन ने हर कदम पर उनका साथ दिया. उनकी मेहनत और बहन के बलिदान के बल पर उन्होंने दरोगा की परीक्षा पास कर ली. यह सफर सिर्फ दिव्या की मेहनत का नहीं, बल्कि उनकी बहन के त्याग और समर्पण की भी कहानी है.
एक प्रेरणादायक उदाहरण
दिव्या की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी परिस्थितियों से हार मानने की बजाय अपने सपनों को साकार करने का साहस रखते हैं. जब दिव्या का हौसला टूटने लगता था, तब उनकी बहन का समर्पण उन्हें फिर से प्रेरित करता था. उनके संघर्ष और खान सर की मदद से उन्होंने दरोगा बनने का सपना पूरा किया. दिव्या की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व का विषय है.
.
Tags: Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 22:30 IST