बिलासपुर में लाई-बताशों की मिठास से सजेगा दीपावली का त्योहार
बिलासपुर: दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही बिलासपुर के बाजारों में रौनक बढ़ गई है. हर साल की तरह इस बार भी लाई और बताशों की खरीदारी जोर-शोर से हो रही है. दीपावली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा में लाई और बताशों का विशेष महत्व है, जो धन-समृद्धि और खुशहाली के प्रतीक माने जाते हैं. इस त्योहार पर इन्हें देवी लक्ष्मी को अर्पित करना शुभ माना जाता है. धान से बनने वाले इन प्रसादों को भारतीय संस्कृति में शांति और सुख का प्रतीक माना गया है.
लाई और बताशों का धार्मिक महत्व
दीपावली के अवसर पर लाई और बताशों का धार्मिक महत्व है. हिन्दू धर्म में इन्हें देवी लक्ष्मी का प्रिय प्रसाद माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार, इनका संबंध शुक्र ग्रह से है, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है. मान्यता है कि इनका भोग लगाने से घर में धन-वैभव का आगमन होता है और रुके हुए कार्यों में प्रगति होती है. धान से बनने वाले इन प्रसादों को अर्पित करना घर की समृद्धि और शांति के लिए शुभ माना जाता है.
विशेष कारीगरों की भूमिका
बिलासपुर में दीपावली के दौरान बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से विशेष कारीगर बुलाए गए हैं. ये कुशल कारीगर हर सेकंड में एक बताशा बना सकते हैं और एक दिन में तीन क्विंटल तक बताशे तैयार करते हैं.
संभाग में बताशों की सप्लाई का मुख्य केंद्र
बिलासपुर का शनिचरी बाजार दीपावली के लिए बताशों की आपूर्ति का मुख्य केंद्र है. यहां हर दिन 20 से 25 क्विंटल बताशों का उत्पादन होता है, जिसे रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाता है. दीपावली के दौरान संभाग में लगभग 500 क्विंटल बताशों की खपत होती है.
शहर में त्योहारी माहौल के साथ, लाई और बताशों की बढ़ती मांग को पूरा करने में बाजार व्यस्त है. दीपावली के शुभ अवसर पर ये पारंपरिक प्रसाद लोगों के घरों में सुख और समृद्धि लाने का प्रतीक बने हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 28, 2024, 24:36 IST