ब्रिटिश कंमाडर की किताब में पीलीभीत ...शिकार, बाघ और इस जमींदार का है जिक्र

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ब्रिटिश कंमाडर की किताब में पीलीभीत ...शिकार, बाघ और इस जमींदार का है जिक्र

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तत्कालीन ब्रिटिश सैन्य अफसर द्वारा लिखी गई किताब.तत्कालीन ब्रिटिश सैन्य अफसर द्वारा लिखी गई किताब.

पीलीभीत. आज पीलीभीत टाइगर रिजर्व देश-दुनिया में अपनी छाप छोड़ रहा है. लेकिन पीलीभीत के बाघ आजादी से पहले भी दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रह चुके हैं. इस बात की पुष्टि ब्रटिश कर्नल ने अपनी एक पुस्तक में किया है. पुस्तक में बताया गया है कि कैसे पीलीभीत का जंगल बाघों का शिकार और उनका दीदार करने वालों के लिए पहली पसंद हुआ करता था. वहीं इस जंगल में तत्कालीन ब्रिटिश कमांडर इन चीफ ने बाघों का शिकार किया था. गौरतलब है कि पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व का दर्जा 2014 में दिया गया था. आंकड़ों के अनुसार पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ 71 से अधिक बाघ है.

पीलीभीत समेत तराई के जंगलों में शुरुआत से ही प्राकृतिक संसाधनों का भरमार रही है. जिसके चलते पीलीभीत के जंगलों में सदियों से बाघों का कुनबा फलता फूलता आ रहा है. वहीं जंगलों में बाघों का बड़ा कुनबा किसी भी जंगल में वन एवं वन्यजीवों की संपन्नता का प्रमाण होता है. यही कारण है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व को लेकर जंगल के शौकीनों में खासा क्रेज देखा जाता है. आज जंगल के शौकीनों के बीच वन्यजीवों के दीदार व उनकी तस्वीरें लेने को लेकर दीवानगी देखी जाती है. आज जो जंगल वन्यजीव विहार, नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व हैं उनमें से अधिकांश किसी समय पर हंटिंग रेंज हुआ करती थी. अगर पीलीभीत के जंगलों की बात करें तो यह ब्रिटिशकाल के दौरान शिकार खेलने वालों के बीच काफी फेमस हुआ करता था.

लार्ड कैचेज के कितब में पीलीभीत का जिक्र
दरअसल ब्रिटिश भारत के कमांडर इन चीफ लार्ड कैचेज के मिलिट्री सेकेट्ररी कर्नल एलिस के पौत्र कर्नल जेम्स एल स्लीमन ने ने वर्ष 1947 में लिखी अपनी पुस्तक रायफल टू कैमरा – द रिफार्मेशन ऑफ ए बिग गेम हंटर में पीलीभीत के जंगलों का ज़िक्र किया है. इस पुस्तक में पीलीभीत के जंगल में बाघों की संख्या और शेरपुर के जमींदार बाला खान और मंगल खान के बुलावे पर कमांडर इन चीफ लार्ड कैचेज के यहां आने और यहां के जंगल में शिकार खेलने का जिक्र किया है. जानकार बताते हैं कि लॉर्ड कैचेज ने पीलीभीत में 14 दिन के दौरान कई बाघों का शिकार किया था. हालांकि समय बीतने के साथ शिकार की परंपरा के चलते घटती बाघों की संख्या के चलते सरकारों की नींद खुली और भारत में बाघों के संरक्षण को लेकर प्रोजेक्ट टाइगर शुरु किया गया.

Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News Hindi

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 20:28 IST

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