भारत की दुनिया को नुकसान पहुंचाने में कोई भूमिका नहीं : जलवायु परिवर्तन पर पीएम मोदी

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न्यूयॉर्क:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को कहा कि दुनिया को बर्बाद करने में भारत की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने साफ तौर पर पश्चिम की आलोचना की. न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में हजारों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है और इसका कार्बन उत्सर्जन चार प्रतिशत से भी कम है. 

भारत के ग्रीन एनर्जी परिवर्तन के बारे में उन्होंने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में ग्रीन जॉब्स पैदा हो रहे हैं.

पीएम मोदी ने रविवार को कहा कि भारत अपना प्रभुत्व नहीं चाहता बल्कि विश्व की समृद्धि में भूमिका निभाना चाहता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक शांति प्रक्रिया को गति देने में भारत की भूमिका अहम होगी.

समान दूरी नहीं, समान निकटता बनाए रखने की नीति

भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आज भारत की विदेश नीति सभी के साथ समान दूरी की नहीं बल्कि समान निकटता बनाए रखने की है. अपनी टिप्पणी “यह युद्ध का समय नहीं है” का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने प्रवासी समुदाय से कहा कि जंग की गंभीरता को सभी मित्र समझते हैं.

कोविड-19 संकट के दौरान 150 से अधिक देशों को भारत की ओर से उपलब्ध कराई गई मदद का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब भी दुनिया में कोई आपदा आई है, भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में आगे आया है.'' उन्होंने कहा कि जब भी कहीं भूकंप आता है या गृह युद्ध होता है तो भारत सबसे पहले वहां पहुंचता है.

पीएम मोदी ने कहा, “वैश्विक विकास की प्रक्रिया एवं वैश्विक शांति में तेजी लाने के लिए भारत की भूमिका अहम होगी.” भारत का लक्ष्य वैश्विक प्रभाव बढ़ाना नहीं, बल्कि दुनिया की समृद्धि में भूमिका निभाना है.

भारत मानव-केंद्रित विकास का आकांक्षी

उन्होंने कहा कि चाहे योग, जीवनशैली या पर्यावरण को बढ़ावा देना हो, भारत केवल जीडीपी-केंद्रित नहीं बल्कि आप सभी के लिए मानव-केंद्रित विकास की आकांक्षा रखता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत “अपना वैश्विक प्रभुत्व नहीं चाहता है.” उन्होंने कहा कि भारत आग की तरह नहीं है. प्रधानमंत्री ने कहा, “हम सूरज की तरह हैं जो रोशनी देता है.”

प्रधानमंत्री ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर पश्चिम की आलोचना करते हुए कहा कि विश्व में विनाश के कारण में भारत की कोई भूमिका नहीं है. भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी रहती है और इसका कार्बन उत्सर्जन चार प्रतिशत से भी कम है. उन्होंने भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन के बारे में बात करते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में हरित रोजगार सृजित हो रहे हैं.

चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, उसके बाद अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ का स्थान है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा कार्बन उत्सर्जन लगभग नगण्य है.” उन्होंने यह भी कहा कि अन्य देशों की तरह भारत भी कार्बन ईंधन आधारित विकास का विकल्प चुन सकता था.

प्रकृति के प्रति प्रेम भारत की परंपरा

मोदी ने कहा कि प्रकृति के प्रति प्रेम भारत की परंपरा है और इसीलिए भारत सौर, पवन, जल, हरित हाइड्रोजन और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिनमें वह निवेश कर रहा है.

भारत द्वारा की गई डिजिटल प्रगति का उल्लेख करते हुए मोदी ने भारतीय अमेरिकियों से कहा कि यहां उनकी जेब में भले ही बटुए हों, लेकिन भारत में लोगों के पास ‘डिजिटल वॉलेट' हैं. प्रधानमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति के बारे में बात की. वह चाहते हैं कि दुनिया भर से छात्र भारत आकर पढ़ाई करें. शैक्षणिक संस्थानों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.

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