राजा माधव राय की नगरी और छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी जिला में इस बार भी दिवाली का फेस्टिवल मनाया जाएगा. जिसके लिए मंडी वासी तैयारियों में जुट चुके हैं. शहर दिवाली के नजदीक आने के साथ ही संवरने लगे हैं. बाजार एक दम चकाचक भीड़ के साथ भरने लगे हैं. जिससे व्यापारियों को इस फेस्टिवल सीजन बंपर सेल की उम्मीद है.
पुराने जमाने में जब राजाओं की रियासतें हुआ करती थी तो दिवाली के दिन शाम को राजा मंडी में दीपावली की पूजा करते थे. मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा अर्चना करते थे. पुराने समय से चले आए यह रिवाज आज भी मंडी में नहीं बदले हैं. आज भी मंडी के राजा कृष्ण रूप श्री माधव राय के मंदिर से लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति को गाजे बाजे के साथ सेरी मंच पर बनी वेद ( पूजा स्थल ) राजकीय पुरोहितों द्वारा ले जाया जाता है. प्रशासिनक अधिकारियों द्वारा यहां जनता के भले के लिए प्राथना की जाती है और उसके बाद ही मंडी में दीपावली का जश्न शुरू होता है.
31 तारीख को ही दिवाली फेस्टिवल
मंडी के एस्ट्रोलॉजर और राजकीय पुरोहित पंडित पुष्प राज शर्मा के मुताबिक इस बार 31 तारीख को ही दिवाली फेस्टिवल विधि विधान के साथ मनाया जाएगा. 31 अक्टूबर को ही राजा माधव राय मंदिर से माता लक्ष्मी और गणेश जी को पूजा स्थल लाया जाएगा. जहां मंत्रोचारण के साथ विधि विधान से इनकी पूजा होगी और उसके बाद इन्हें वापस मंदिर ले जाया जाएगा.
मंडी में निभाई जाती हैं सदियों पुरानी परंपराएं
दिवाली का त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक महत्व भी रखता है. यह त्योहार हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना और खुशियां बांटना सिखाता है. दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह हमें अंधकार को दूर करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली का मुख्य कारण भगवान श्रीराम का चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटना है. उनकी वापसी पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर स्वागत किया था. दीप जलाने की परंपरा बनी जिसे दिवाली का पर्व कहा जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 27, 2024, 16:37 IST