मथुरा का ऐसा चमत्कारी कुंड...जहां संतान प्राप्ति के लिए लोग करते हैं स्नान!

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कार्तिक

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां दंपत्ति एक साथ स्नान करते है

निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरधारी की परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड की बहुत मान्यता है. कहा जाता है कि अगर नि:संतान कपल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां स्नान करते हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है.

अहोई अष्टमी के दिन करते हैं स्नान
मथुरा का पंडित मुकेश शर्मा बताते हैं कि अहोई अष्टमी के दिन पति और पत्नी दोनों ही निर्जला व्रत रखते हैं. मध्य रात्रि में राधा कुंड में डुबकी लगाते हैं. ऐसा करने पर उनके घर में किलकारियां गूंज उठती है. कहा जाता है कि यह प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है. इस प्रथा से जुड़ी एक कथा का पुराणों में भी वर्णन मिलता है.

श्री कृष्ण से जुड़ी कहानी
जिस समय कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था. उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप लेकर श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया. कृष्ण को मारने के लिए आया. भगवान श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पहचान लिया. इसके बाद श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पकड़कर जमीन पर फेंक दिया और उसका वध कर दिया. यह देखकर राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है.

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इस पाप से मुक्ति के लिए उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए. राधा जी की बात सुनकर श्री कृष्ण ने नारद जी से इस समस्या के समाधान के लिए उपाय मांगा. देवर्षि नारद ने उन्हें उपाय बताया कि सभी तीर्थों का आह्वान करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन सभी तीर्थों के जल को एक साथ मिलाकर स्नान करें, जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी.

कृष्ण को ऐसे मिली इस पाप से मुक्ति 
श्री कृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान करके पाप मुक्त हो गए. इस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है, जिसमें स्नान करके श्री कृष्ण गौ हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था. नारद जी के कहने पर ही श्री कृष्ण ने यह कुंड अपनी बांसुरी से खोदा था और सभी तीर्थों से उस कुंड में आने की प्रार्थना की जिसके बाद सभी तीर्थ उस कुंड में आ गए. इसके बाद श्री कृष्ण कुंड को देखकर राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड खोदा. जब श्री कृष्ण ने उस कुंड को देखा तो कुंड को अधिक प्रसिद्ध होने का वरदान दिया, जिसके बाद यह कुंड राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

Tags: Dharma Aastha, Local18, Mathura news

FIRST PUBLISHED :

October 23, 2024, 10:52 IST

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