आटोमेटिक गोलगप्पा मशीन से स्ट्रीट में नए युग की शुरूआत
आकाश कुमार, जमशेदपुर: गोलगप्पा, जिसे भारत में पानी पूरी, गुपचुप और पानी बताशा जैसे कई नामों से जाना जाता है, देश के लगभग हर कोने में मशहूर है. स्ट्रीट फूड प्रेमियों की पहली पसंद में से एक होने के बावजूद, कई लोग इसे खाने में हिचकिचाते हैं. इसका मुख्य कारण है—गोलगप्पे बनाने और परोसने की पारंपरिक प्रक्रिया जो कई बार हाइजीनिक नहीं मानी जाती.
जमशेदपुर के साकची इलाके में इस समस्या का समाधान करने के लिए अरविंद नामक एक उद्यमी ने एक अनोखी पहल की है. अरविंद, खुद गोलगप्पे के शौकीन हैं, लेकिन उन्होंने देखा कि अधिकतर लोग गोलगप्पे के स्वाद का आनंद लेने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि इन्हें हाथों से बनाया और परोसा जाता है. इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने एक ऑटोमेटिक गोलगप्पा मशीन विकसित की है, जो न केवल गोलगप्पे का स्वाद बेहतर बनाती है, बल्कि पूरी प्रक्रिया को हाइजीनिक भी बनाती है.
कैसे काम करती है ऑटोमेटिक गोलगप्पा मशीन?
इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि इसमें चार अलग-अलग फ्लेवर का पानी उपलब्ध होता है. ग्राहक को केवल मशीन के नीचे गोलगप्पा रखना होता है और सेंसर की मदद से मशीन अपने आप गोलगप्पे में पसंद के फ्लेवर का पानी भर देती है. इस मशीन में पुदीना, खट्टा, मीठा, रेगुलर और जलजीरा फ्लेवर के पानी का विकल्प मिलता है. ग्राहक अपनी पसंद का फ्लेवर चुनकर बिना किसी संकोच के गोलगप्पों का आनंद ले सकते हैं.
हाइजीनिक गोलगप्पों का सफर
अरविंद का कहना है कि उन्होंने देखा कि लोग हाइजीन के कारण गोलगप्पे खाने से बचते हैं. इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने एक ऐसा तरीका खोजा, जिसमें न तो कोई हाथों से छूने की जरूरत है और न ही कोई गंदगी का डर. इस मशीन से गोलगप्पों को परोसने की प्रक्रिया न केवल साफ-सुथरी होती है, बल्कि ग्राहकों को यह अनुभव भी अनूठा लगता है.
साकची इलाके का आकर्षण
अरविंद की ऑटोमेटिक गोलगप्पा मशीन जमशेदपुर के साकची इलाके में बसंत टॉकीज की पार्किंग में स्थित है. यहां हर दिन शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक लोग गोलगप्पों का स्वाद लेने आते हैं. इस मशीन की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि लोग दूर-दूर से इसे देखने और इसका लुत्फ उठाने आते हैं. 20 रुपये में 6 गोलगप्पे और चार फ्लेवर वाले पानी का विकल्प यहां ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है.
ग्राहकों का रिस्पॉन्स
यहां गोलगप्पे खाने आए ग्राहकों का कहना है कि यह एक अनोखा अनुभव है. न केवल स्वाद में, बल्कि परोसने के इस हाइजीनिक और स्वचालित तरीके ने उन्हें प्रभावित किया है. खास बात यह है कि यहां हर वर्ग के लोग, चाहे वे छात्र हों, ऑफिस जाने वाले हों या परिवार वाले, सभी बड़ी उत्सुकता से आते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस मशीन से गोलगप्पे खाने का आनंद ले रहा है.
नए युग का स्ट्रीट फूड
जमशेदपुर में अरविंद द्वारा शुरू की गई यह पहल न केवल स्ट्रीट फूड के नए युग की शुरुआत कर रही है, बल्कि हाइजीन को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम को भी दूर कर रही है. उनकी इस पहल से यह साबित हो गया है कि आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक खाद्य पदार्थों का आनंद लिया जा सकता है, वह भी बिना किसी स्वास्थ्य चिंता के.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 12:45 IST