Agency:News18 Bihar
Last Updated:January 31, 2025, 21:13 IST
मौत एक सत्य है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है. सनातन धर्म की परंपरा है कि मौत के बाद शरीर को जलाया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि उन्हें दफनाया क्यों नहीं जाता है. आइए इसी से जुड़े सत्य के बारे में आज आपको...और पढ़ें
मृत्यु क् बाद जलाने की परंपरा
हाइलाइट्स
- गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद दाह संस्कार उचित है.
- हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिसमें अंत्येष्टि संस्कार शामिल है.
- आत्मा अमर है, शरीर से दुर्गंध आने पर दाह संस्कार उत्तम है.
मधुबनी:- हमारे शास्त्रों में सनातन के बारे में हर चीज बताया गया है. एक सबसे पवित्र धर्म ग्रंथ गरुड़ पुराण के मुताबिक बताया गया है कि सनातन में जो भी लोगों की मृत्यु होती है, उसके बाद उन्हें दफनाया नहीं जाता है, बल्कि उन्हें जलाया जाता है. उसके पवित्र राख और अस्थियों को जल में प्रभावित किया जाता है, जिसका वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों महत्व है.
ये बात को कोई झुठला नहीं सकता है कि जिसने पृथ्वी पर जन्म लिए है, वो यहां हमेशा अजर-अमर नहीं रहेगा, बल्कि जो पृथ्वी पर आया है, उसे यहां से वापस मृत लोक में जाना निश्चित ही है. सनातन संस्कृति में यह चीजों के बारे मे विस्तार से बताया गया है. बता दें कि हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिसमें ये अंत्येष्टि संस्कार के अंतर्गत आता है.
मृत्यु के बाद जलाने यानी दाह संस्कार की प्रक्रिया
आचार्य राम कुमार झा लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार, विश्व में जो भी लोग सनातन धर्म को मानते हैं, उनकी मृत्यु के बाद जलाने यानी दाह संस्कार की प्रक्रिया होती है. दाह संस्कार करना उचित है, जबकि कुछ धर्म के लोग शव को दफनाते हैं. हमारे पुराण में बताया गया है कि यह शरीर 5 चीजों से बना हुआ है, पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश. मृत्यु के बाद फिर इसी पंच तत्व में मिल जाना है.
ये भी पढ़ें:- सरस्वती पूजा को लेकर अब भी कंफ्यूज! इस तारीख को है बसंत पंचमी, आचार्य ने बताया शुभ मुहूर्त
दुर्गन्धित वस्तु को आग में समाहित करना उत्तम
आत्मा अमर है, व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा निकल जाता है और शरीर से दुर्गंध आने लगती है और दुर्गन्धित वस्तु को आग में समाहित करना ही सबसे उत्तम माना जाता है और उसकी अस्थियों को जल में प्रवाहित किया जाता है. गीता में लिखा है कि जिस प्रकार शरीर में नया वस्त्र धारण करने के बाद उसे छोड़ देते हैं, उसी प्रकार शरीर से आत्मा निकलने के बाद दाह संस्कार किया जाता है. साथ ही यह भी बताया गया है कि प्रातःकाल या सूर्योदय में दाह संस्कार करना चाहिए, रात के समय नहीं करना चाहिए.
Location :
Madhubani,Bihar
First Published :
January 31, 2025, 21:13 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.