गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार और उसके विभिन्न विभागों को बड़े पैमाने पर रैट-होल कोयला खनन पर नोटिस जारी किया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि उन्होंने इस गैरकानूनी गतिविधि को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। दीमा हसाओ कोयला खनन त्रासदी का स्वत: संज्ञान लेते हुए, उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका दर्ज की और अगले दिन मुख्य सचिव के कार्यालय सहित सात सरकारी विभागों को नोटिस जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति कौशिक गोस्वामी की खंडपीठ ने आदेश में कहा, "अदालत ने विभिन्न रिपोर्टों पर ध्यान दिया है, जो बताती हैं कि उमरंगसो क्षेत्र में लगभग 200 से अधिक रैट-होल खदानें चल रही हैं।" पीठ ने उल्लेख किया कि अदालत ने असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में हुई कोयला खदान त्रासदी पर ध्यान दिया है।
अगली सुनवाई 7 फरवरी को
पीठ ने कहा, "अदालत ने इस बात पर भी गौर किया है कि कार्बी आंगलोंग जिले में रैट-होल खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है और या तो इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है या फिर इसकी जानकारी होने के बावजूद अधिकारी इन रैट-होल खदानों को रोकने या बंद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।" हाई कोर्ट ने सभी सात प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और उनसे 7 फरवरी को अगली सुनवाई तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा। इसमें कहा गया है, "प्रतिवादियों की ओर से पेश विद्वान वकील जनहित याचिका (स्वतः संज्ञान) पर अपना जवाब और असम राज्य में रैट-होल कोयला खनन की प्रथा को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में नवीनतम स्थिति रिपोर्ट अगली सुनवाई तक दाखिल कर सकते हैं।"
छह जनवरी को हुआ था हादसा
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव के अलावा खान एवं खनिज, पर्यावरण एवं वन, गृह एवं राजनीतिक, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभागों के अलावा कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद और भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया। 6 जनवरी को उमरंगसो इलाके में कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने से कम से कम नौ मजदूर फंस गए थे। चार खनिकों के शव बरामद कर लिए गए, जबकि पांच अभी भी अवैध रैट-होल खदान में लापता हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2014 में रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, पूर्वोत्तर में अभी भी इस अवैध तरीके से कोयला निकाला जाता है। (इनपुट- पीटीआई)