Agency:Local18
Last Updated:January 31, 2025, 23:57 IST
Golaghat pistillate success: गोलाघाट की बबी बरा ने दिहाड़ी मजदूरी छोड़ सुअर, मुर्गी और मछली पालन शुरू किया. अब वे हर साल 11 लाख रुपये से अधिक कमाती हैं.
गोलाघाट के कछारीहाट गांव की बबी बरा कभी दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाती थीं. आर्थिक तंगी के कारण उनका जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा था. लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया. शुरुआती दिनों में उन्होंने दूसरों से कर्ज लेकर सिर्फ एक सुअर से व्यवसाय की शुरुआत की. यह फैसला उनकी जिंदगी बदलने वाला था.
सुअर पालन से बढ़ते कदम
एक सुअर से शुरू हुआ उनका सफर धीरे-धीरे बड़ा होता गया. मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने अपनी संख्या बढ़ाई और देखते ही देखते उनके पास 100 से ज्यादा सुअर हो गए. इससे उनकी सालाना आय 10 लाख रुपये तक पहुंच गई. आज उनके पास डेढ़ बीघा जमीन पर फैला एक बड़ा सुअर फार्म है, जहां 500 से अधिक सुअर मौजूद हैं.
मुर्गी पालन से बनीं लाखों की मालकिन
सुअर पालन में सफलता मिलने के बाद बबी बरा ने एक नया कदम उठाया और मुर्गी पालन शुरू किया. उन्होंने एक बड़ा ब्रॉयलर मुर्गी फार्म खोला, जिससे उनकी सालाना कमाई 4 लाख रुपये तक पहुंच गई. इसके अलावा, उन्होंने एक लोकल मुर्गी फार्म भी शुरू किया. दोनों मुर्गी फार्म से वे हर साल करीब 11 लाख रुपये की कमाई कर रही हैं.
मत्स्य पालन में भी आजमा रहीं हाथ
बबी बरा सिर्फ सुअर और मुर्गी पालन तक ही सीमित नहीं रहीं. उन्होंने दो बीघा जमीन पर मछली पालन भी शुरू कर दिया है, जिससे उनकी आमदनी के और भी रास्ते खुल गए. उनकी मेहनत और दूरदृष्टि ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है.
दूसरों के लिए बनीं प्रेरणा
आज बबी बरा सिर्फ अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि अपने गांव के अन्य लोगों का भी सहारा बन गई हैं. उनके फार्म में तीन अन्य लोगों को रोजगार मिला है. उनकी इस सफलता के लिए उन्हें असम सरकार और अन्य संस्थानों द्वारा कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता ही असली ताकत है. अब वे पूरे गांव के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं.
First Published :
January 31, 2025, 23:57 IST