Last Updated:January 27, 2025, 10:00 IST
Mauni Amavasya 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो रहा है. ये ब्रह्म मुहूर्त 6 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा.
Mauni Amavasya 2025: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करने का बड़ा महत्व है. मान्यता है कि अगर इस दिन पूर्ण रूप से मौन रहकर स्नान और दान किया जाए, तो व्यक्ति को अद्भुत स्वास्थ्य, मानसिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है. मानसिक समस्याओं, भय, या भ्रम से जूझ रहे लोगों के लिए इस दिन का स्नान अत्यंत लाभकारी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या पर क्या शुभ संयोग बन रहा है. उदयातिथि के अनुसार 29 जनवरी को माघी यानि मौनी अमावस्या मानी जाएगी. उस दिन शनि, राहु-केतु दोष से मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिए.आइये जानते हैं.
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मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त : मौनी अमावस्या पर स्नान-दान ब्रह्म मुहूर्त में ज्यादा शुभ माना जाता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. वहीं, अमृत काल रात 09 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस मुहूर्त में स्नान और दान करना शुभ रहेगा. अगर कोई ब्रह्म मुहूर्त में स्नान या दान नहीं कर पाता तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी स्नान और दान कर सकता है.
कुम्भ स्नान के साथ बने विशेष संयोग : मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या पर यानी 29 जनवरी को सूर्य और चंद्रमा दोनों मकर राशि में रहेंगे. वहीं, गुरु का पंचम भाव में स्थित होना अत्यंत शुभ और उत्तम स्थिति का निर्माण कर रहा है. ऐसे में मौनी अमावस्या पर स्नान और दान करना विशेष फलदायी होगा. इसके अलावा इस दिन सिद्धि योग भी बन रहा है, जो इस दिन की पवित्रता और महत्व को और बढ़ा रहा है. महाकुंभ के चलते मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का आयोजन भी किया जाएगा. यह संयोग साल की पहली अमावस्या को और भी खास और शुभ बना रहा है.
शनि पीड़ा, साढ़े साती, राहु केतु दोष से मिलेगी मुक्ति : मौनी अमावस्या के दिन किसी शिव मंदिर जाएं. वहां भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप से शिवजी की आरती करें और उसी माला पर भगवान शिव के मंत्र का जाप करें.
मंत्र – रूपं देहि , यशो देहि , भोगं देहि च शंकर. भुक्ति मुक्ति फलं देहि , गृहीत्वार्घ्यम नमोस्तुते”
इतना करने के बाद इस माला को या तो अपने पर्स में रख लें या फिर गले में धारण कर लें. इसके अलावा कुष्ठ रोगियों को भोजन दें. गरीबों में तिल से बने मिष्ठान, काले नीले कम्बल, उनी वस्त्र आदि बाटें.
First Published :
January 27, 2025, 10:00 IST