ट्रांसजेंडर गंगा
पाली:- समाज ने और लोगों ने पीठ पीछे कितने ही ताने क्यों न कसे हो, मगर उन सभी को नजर अंदाज करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हुए जिस तरह से कामयाबी हासिल की, उसी के चलते ट्रांसजेंडर गंगा आज राजस्थान पुलिस के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी ड्यूटी कर रही है. ट्रांसजेंडर को उनके संवैधानिक अधिकारों एवं कानूनी प्रावधानों के प्रति संवेदनशील बनाने व सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाने के लिए राजस्थान पुलिस और रोटरी क्लब की सहभागिता से जिला परिषद सभागार में कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें पाली की गादीपति आशा कुंवर के साथ जिले के 15 ट्रांसजेंडर ने भाग लिया.
इसमें पुलिस कांस्टेबल गंगा भी शामिल रही. गंगा को इस दौरान सम्मानित भी किया गया. ट्रांसजेंडर कांस्टेबल गंगा ने कहा कि जन्म से ट्रांसजेंडर थी. लेकिन दिल से खुद को लड़की ही मानती हूं और वैसे ही रहती हूं. ईश्वर ने इस रूप में धरती पर भेजा है, तो इसी में खुश हूं. किस्मत वाली हूं कि मेरे पिता और परिवार ने मेरा शुरू से साथ दिया. कभी 6 भाई-बहनों में मुझे अलग नहीं समझा, अच्छा पढ़ाया-लिखाया. वर्तमान में वह सब इंस्पेक्टर बनने की तैयारी कर रही हैं.
अब पुलिस ही अपना परिवार मानती हैं गंगा
गंगा ने कहा कि रही बात लोगों की, तो यही कहना चाहूंगी कि मेरे पीठ पीछे लोग मेरे बारे में कुछ भी बात करें, लेकिन सामने किसी ने कुछ भी गलत कमेंट नहीं किया. सच कहूं तो परिवार और समाज का भी साथ मिला. कभी मुझे डिप्रेशन में नहीं आने दिया. तब जाकर आज इस मुकाम तक पहुंची हूं. अब पुलिस ही मेरा परिवार है और लाइफ में किसी लाइफ पार्टनर की जरूरत नहीं है.
माता-पिता ने नहीं टूटने दिया हौसला
गंगा राजस्थान के सांचौर के जाखड़ी गांव की रहने वाली हैं. छह भाई-बहनों में वह सबसे छोटी हैं. पांच बहनें और एक भाई हैं. जन्म से ही वो ट्रांसजेंडर थी. छोटी थी, तब कुछ पता नहीं था. जैसे-जैसे बड़ी हुई, तो यह पता लगा कि मैं लड़कों और लड़कों से अलग हूं. एक बार तो डिप्रेशन में आ गई कि मेरे साथ ईश्वर ने ऐसा क्यों किया, लेकिन पिता भीकाराम और मां कलूदेवी ने कहा कि तुम एक इंसान हो. हमारे लिए तुम किसी दूसरे बच्चों से कम नहीं हो. गंगा ने कहा कि सच कहूं तो मम्मी-पापा के इस हौसले ने बहुत संबल दिया और दूसरे किसी की हिम्मत नहीं हुई कि मेरे सामने मेरे बारे में कुछ बोल दे.
बचपन से ही पुलिस कर्मी बनने का था सपना
गंगा के मन में पुलिस कर्मी बनने का सपना बचपन से ही था. गंगा बताती हैं कि जब वह खाकी वालों को देखती थी, तो सोचती थी कि वह भी बड़ी होकर एक दिन पुलिसकर्मी बनेंगी. बॉडी पर खाकी ड्रेस होगी और हाथ में डंडा होगा. फिर वर्ष 2013 में निकली कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में चयनित हो गई. सरकार ने 208 में से 207 पदों पर नियुक्ति दे दी, लेकिन उसे मेडिकल जांच में सिर्फ ट्रांसजेंडर होने के चलते रोक दिया गया.
ऐसे में उनकी नियुक्ति अटक गई. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को नवंबर 2017 में छह सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश दिया. समय सीमा गुजरने के बाद एक बार फिर सरकार को नोटिस इश्यू हुआ. आखिरकार वह पुलिस विभाग में पहले ट्रांसजेंडर कॉन्स्टेबल के रूप में मार्च 2018 में नियुक्ति पाने में सफल रहीं. तब से लेकर आज तक गंगा राजस्थान पुलिस के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी ड्यूटी दे रही हैं.
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पुलिस में रहकर करती हूं सेवा का काम
गंगा ने कहा कि पुलिस में रहकर लोगों की सेवा करने का काम करती रहेंगी. किसी लड़के या लड़की की तरह उन्हें जीवन में किसी लाइफ पार्टनर की चाह नहीं है. उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडरों को भी सरकारी नौकरी में आने और ट्रांसजेंडर्स को सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं और योजनाओं के बारे में बताकर जागरूक करती रहेगी, ताकि वे भी समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सके.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 13:57 IST