वकील नहीं करेंगे पराली जलाने वालों की पैरवी, किसान बोले- क्या हम आतंकवादी..

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खेत

खेत में जलाई गई पराली

जबलपुर. पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या जबलपुर समेत मध्य प्रदेश के कई शहरों में भी सिर उठाने लगी है. जबलपुर जिला प्रशासन के कई मर्तबा किसानों को समझाइश देने के बावजूद कोई असर नहीं दिख रहा है. ऐसे में पहली बार एमपी हाईकोर्ट बार ने पराली जलाने के खिलाफ अनोखा निर्णय लिया है. बार ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि पराली जलाने वाले आरोपी किसानों की हाईकोर्ट का कोई भी वकील पैरवी नहीं करेगा.

संगठन के अध्यक्ष डीके जैन ने बताया कि एसोशिएशन सभा की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. जिसको लेकर निर्देश जारी किए गए हैं. उन्होंने बताया कि पराली जलाने के मामले में देश में पहला स्थान मध्य प्रदेश का है. देश और प्रदेश में पराली जलाने पर प्रतिबंध का समर्थन करते हुए यह निर्णय लिया गया है. ऐसा अपराध करने वाले किसानों की पैरवी के लिए कोई भी वकील नहीं खड़ा होगा.

किसान संगठन बोले; हम आतंकवादी से भी गए गुजरे? 
एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के फैसले के बाद किसान संगठनों ने बार के इस फैसले की निंदा की है. अखिल भारतीय किसान संघ के महामंत्री मोहन मिश्रा का कहना है किसानों के लिए यह दुखद है और फैसला एक पक्षी होने के साथ ही निंदनीय है. उन्होंने कहा, आतंकवादियों के लिए देर रात कोर्ट के दरवाजे खुल जाते हैं, इतना ही नहीं एडवोकेट मुकदमा भी लड़ते हैं. ऐसे में क्या अन्नदाता आतंकवादी से भी गए-गुजरे हैं?

किसानों का कोई दोष नहीं 
उन्होंने कहा, पराली जलाने को लेकर किसानों का कोई दोष नहीं है. फिर भी किसानों को दोषी ठहराया जाता है. इतना ही नहीं, अब न्याय पाने के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है. किसानों के मौलिक अधिकारों का यह हनन है. उन्होंने दो टूक कहा, देश के किसानों से इतना विरोध है, तब उनका पैदा किया अनाज भी छोड़ देना चाहिए. किसान 24 घंटे मेहनत करता है, तब जाकर अपना गुजर-बसर करता है.

उद्योगपतियों पर क्यों साधी चुप्पी?
उन्होंने कहा, इंडस्ट्रियल एरिया और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के प्लांट से पराली से भी ज्यादा प्रदूषण होता है. लेकिन, अधिकारियों और नेताओं के संपर्क में होने के चलते कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती. उल्टा एडवोकेट भी चुप्पी साधे रहते हैं. उद्योगपतियों के प्लांटों के लिए नियमों में ढील की जाती है, जबकि पराली जलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है. पराली जलाने से इतना प्रदूषण नहीं होता जितना प्लांट से होता है.

Tags: Jabalpur High Court, Local18, Mp farmer, Stubble Burning

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 21:46 IST

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