वो परिवार जिसके सबसे ज्यादा लोग संसद में पहुंचे, प्रियंका बनीं 16वीं सदस्य

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हाइलाइट्स

प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को ली लोकसभा सांसद के रूप में शपथवह 4 लाख से अधिक वोटों से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची हैंअब नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में एक साथ नजर आएंगे

Priyanka Gandhi Vadra: केरल के वायनाड से शानदार जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली. इसके साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा की संसदीय पारी आज से शुरू हो गई. प्रियंका गांधी 4.1 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची हैं. प्रियंका गांधी ने इस सीट पर 2019 में अपने भाई राहुल गांधी की जीत के अंतर को पीछे छोड़ दिया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जब प्रियंका गांधी का नाम पुकारा तो वह हाथ में संविधान की किताब लेकर पहुंचीं और सांसद के रूप में  शपथ ली. प्रियंका गांधी के लोकसभा में प्रवेश के साथ दशकों बाद नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य- सोनिया, राहुल और प्रियंका – संसद में एक साथ नजर आएंगे. प्रियंका संसद पहुंचने वाली नेहरू -गांधी परिवार की 16वीं सदस्य हैं.

राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड दोनों जगह से जीत दर्ज की. जब दोनों में से एक सीट को चुनने की बात आई तो राहुल गांधी ने रायबरेली को तरजीह दी, क्योंकि उनकी मां सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ती रही थी. राहुल के वायनाड लोकसभा सीट छोड़ने पर वहां पर उपचुनाव कराए गए. ऐसे में इस सीट पर प्रियंका गांधी को चुनाव लड़वाने का फैसला किया गया. 2019 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे, लेकिन वायनाड ने उन्हें लोकसभा भेजा था. इस वजह से उनका वायनाड के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बन गया है. सोनिया गांधी ने 2024 में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. वह राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य हैं.  

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चुनावी राजनीति और नेहरू-गांधी परिवार
नेहरू-गांधी परिवार चुनावी राजनीति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है, जिसकी शुरुआत जवाहरलाल नेहरू से हुई थी. नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने और 17 साल तक इस पद पर रहे. नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने बागडोर संभाली और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. इंदिरा के पति फिरोज गांधी भी लोकसभा के सदस्य रहे जबकि बाद में उनके दोनों बेटों ने भी संसदीय राजनीति में कदम रखा. राजीव गांधी 1984 में देश के प्रधानमंत्री बने. 1991 में जब राजीव गांधी का निधन हुआ तो राहुल और प्रियंका छोटे थे, जबकि सोनिया की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. हालांकि देश के संसदीय इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब लोकसभा में गांधी परिवार का कम से कम एक सदस्य न रहा हो. एक बार ऐसा भी हुआ है जब गांधी-नेहरू परिवार के पांच-पांच सदस्य एक साथ लोकसभा में पहुंचे. 

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71 साल बाद संसद में भाई-बहन की जोड़ी
प्रियंका के शपथ लेने के साथ ही लोकसभा में एक और इतिहास दोहराया गया. 71 साल बाद नेहरू-गांधी फैमिली के भाई-बहन एक साथ लोकसभा में बैठेंगे. प्रियंका और राहुल से पहले जवाहर लाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की भाई-बहन की जोड़ी लोकसभा में नजर आती थी. लेकिन यह संसद में पहली बार होगा कि नेहरू-गांधी परिवार की एक मां और उनके दो बच्चे एक साथ सांसद बने हैं. 2014 और 2019 में नेहरू-गांधी परिवार के चार-चार सदस्य लोकसभा में बैठते थे. लेकिन उसमें दो सदस्य राजीव गांधी और दो सदस्य संजय गांधी परिवार के थे. उस समय सोनिया और मेनका गांधी के साथ -साथ उनके बेटे राहुल और वरुण भी संसद पहुंचे थे.

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पहली लोकसभा में नेहरू-गांधी परिवार के 5 सदस्य
साल 1952 में देश के पहले लोकसभा चुनाव हुए थे. उस लोकसभा में पांच सांसद ऐसे थे जिनका रिश्ता नेहरू-गांधी परिवार से था. जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद जिला (पूर्व) लोकसभा सीट से जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने. लोकसभा सदस्य बनने वाले अन्य सदस्य थे, जवाहर लाल नेहरू के दामाद और इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी, उमा नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित और श्योराजवती नेहरू. उमा के पति श्यामलाल नेहरू पंडित जवाहर लाल नेहरू के चचेरे भाई थे. विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहर लाल नेहरू की सगी बहन थीं. श्योराजवती जवाहर लाल नेहरू के चचेरे भाई की पत्नी थीं. 

गिरती स्थिति को सुधारने की उम्मीद
प्रियंका गांधी का संसद में आगमन ऐसे समय में हुआ है जब पार्टी को हरियाणा और महाराष्ट्र में करारी हार का सामना करना पड़ा है. प्रियंका से उम्मीद की जा रही है कि वह कांग्रेस को फिर से ऊर्जा प्रदान करेंगी और उसकी गिरती चुनावी स्थिति को सुधारेंगी. उनसे क्राइसिस मैनेजर और पार्टी की रणनीतिकार के रूप में काम करने की उम्मीद की जा रही है. पार्टी नेताओं का मानना है कि संसद के अंदर और बाहर प्रियंका की मौजूदगी कांग्रेस के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है. यह भी माना जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि वाली प्रियंका, लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामना अपनी प्रभावशाली वक्तृत्व क्षमता से करेंगी.

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20 साल लगे चुनावी पदार्पण में
52 वर्षीय प्रियंका गांधी का चुनावी मैदान में पदार्पण 20 साल बाद हुआ है. वह पहली बार 2004 के लोकसभा चुनावों में नजर आई थीं,  जब उन्होंने अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के लिए प्रचार किया था. प्रियंका ने 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व किया. उस समय यह अटकलें तेज थीं कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी, जो नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ है. हालांकि, उन्होंने संगठनात्मक जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए रायबरेली से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका ने पार्टी को रायबरेली में जीत दिलाने में मदद की, जहां से उनके भाई ने चुनाव लड़ा. राहुल की पुरानी सीट अमेठी में परिवार के सहयोगी किशोरी लाल शर्मा ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का मुकाबला किया और शानदार जीत हासिल की. 

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प्रियंका ने वायनाड का जताया आभार
चुनाव प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद प्रियंका गांधी ने इसे विश्वास और साझा मूल्यों का प्रतीक बताया. उन्होंने एक्स पर कहा, “मेरे सहयोगी वायनाड से आज मेरा चुनाव प्रमाणपत्र लाए. मेरे लिए यह सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है. यह आपके प्यार, विश्वास और उन मूल्यों का प्रतीक है जिनके प्रति हम प्रतिबद्ध हैं. धन्यवाद, वायनाड, मुझे इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए चुनने के लिए ताकि हम आपके लिए एक बेहतर भविष्य बना सकें.” अपनी जीत के बाद, प्रियंका ने एक्स पर लिखा था, “मेरे प्यारे वायनाड के बहनों और भाइयों, आपने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उसके लिए मैं अत्यंत आभारी हूं. मैं सुनिश्चित करूंगी कि समय के साथ, आप वास्तव में महसूस करें कि यह जीत आपकी जीत है और जिसे आपने अपना प्रतिनिधि चुना है, वह आपके सपनों और आशाओं को समझता है और आपके लिए एक अपने की तरह लड़ता है. मैं संसद में आपकी आवाज बनने के लिए उत्सुक हूं!”

Tags: Indira Gandhi, Jawahar Lal Nehru, Priyanka gandhi vadra, Rahul gandhi, Sonia Gandhi

FIRST PUBLISHED :

November 28, 2024, 14:08 IST

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